राजस्थान के बालोतरा जिले के श्रवण कुमार ने नीट एग्जाम क्लियर कर इतिहास रच दिया. परीक्षा पास करना इतिहास नहीं है, बल्कि गरीबी में रहते हुए जिस संघर्ष और मेहनत के साथ उसने यह कामयाबी हासिल की, वह पूरे गांव के सपनों की जीत कही जा रही है. श्रवण के पिता रेखाराम सियाग शादी-ब्याह के आयोजनों में जूठे बर्तन धोने का काम करते हैं और सीजन में खेतिहर मजदूरी भी करते हैं. परिवार अब भी मिट्टी की झोपड़ी में रहता है, जिसमें टीन की छत है और दो कमरे हैं. इन्हीं हालातों में श्रवण ने NEET-UG 2025 में OBC श्रेणी में 4071वीं रैंक हासिल की है.
घर खर्च उठाने के लिए श्रवण ने भी मजदूरी
श्रवण ने 700 में से 556 अंक हासिल किए. पहले प्रयास में उसे 519 अंक मिले थे, दूसरे प्रयास में 620, लेकिन कटऑफ पार नहीं हुआ. अब तीसरे प्रयास में सफलता मिली. उसने रोजिया नाडा माधासर के सरकारी स्कूल से 10वीं (97%) और 12वीं बोर्ड (87.8%) अच्छे अंकों से पास किया. आर्थिक संकट के कारण बीच में मजदूरी भी की. जब परिणाम आया तो उस समय रेखाराम झोपड़ी की मरम्मत कर रहे थे. बेटे की सफलता की खबर सुनकर उनकी आंखें नम हो गईं. उन्होंने कहा- अब शायद बर्तन नहीं धोने पड़ेंगे.
अब इस झोपड़ी में खुशियां ही खुशियां
बालोतरा की संस्था फिफ्टी विलेजर्स ने श्रवण का चयन कर उसकी पढ़ाई का खर्च उठाया. संस्था के सहयोग से वह हॉस्टल में रहा और स्मार्टफोन से ऑनलाइन क्लासेज और डाउट सॉल्विंग करता रहा. NEET रिजल्ट आते ही गांव वालों और संस्था सदस्यों ने उसके घर मिठाई पहुंचाई. अब इस झोपड़ी में खुशियां ही खुशियां हैं.
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