गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के निर्देश पर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के खिलाफ चलाये गए अभियान के तहत पकड़े गए बांग्लादेशियों से अहम खुलासे हुए हैं. बांग्लादेशी नागरिक अवैध तरीके से दलाल के जरिए रात के अंधेरे में बॉर्डर पार किया. बॉर्डर पार करनवाने के लिए दलालों ने पैसे लिए. इसके बाद आधार कार्ड और पैन कार्ड भी बनवाकर मजदूरी करने लगे.
ईंट भट्ठे से 28 बांग्लादेशियों को पकड़ा
मेघपुर गांव में 7 बांग्लादेशी नागरिकों के पकड़े जाने के बाद पुलिस और खुफिया एजेंसी अलर्ट हुईं. बांग्लादेशी नागरिकों के पकड़े जाने के बाद सीआईडी और पचेरी पुलिस की संयुक्त टीमों ने इलाके में सर्च अभियान शुरू किया. जानकारी के अनुसार, बांग्लादेशी नागरिकों के क्षेत्र में छिपे होने की आशंका को देखते हुए टीम ने नावता गांव स्थित एक ईंट भट्ठा पर दबिश दी.पुलिस ने RK ईंट भट्ठे पर 28 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा.
भारत में अवैध तरीके से घुसे बांग्लादेशियों को पुलिस ने पकड़ा.
दलालों की मदद से भारत में एंट्री
ये सभी अवैध रूप से बॉर्डर पार करके भारत आए थे. रात के समय, दलालों की मदद से, इन्होंने बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ की. कोई झुंझुनूं पहुंचा, कोई हरियाणा, कोई यूपी. इसके बाद ये बांग्लादेशी नागरिक ईंट-भट्ठे पर काम करने लगे, और दलालों के जरिये यहां के दस्तावेज बनवा लिए. पुलिस कार्रवाई के दौरान इनसे आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज मिले है.
बॉर्डर पार कराने वाले दलालों का है नेटवर्क
पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों ने बताया की दलालों का नेटवर्क बॉर्डर पार कराते हैं. नावता गांव के ईंट-भट्ठे पर पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों ने बताया की उन्होंने दलाल मुकुंद और सफीक उल के जरिये बॉर्डर पार करके भारत में घुसे. पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों ने बताया की दोनों दलाल वर्षों से बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ करवाने वाले गिरोह का हिस्सा है. इन्होंने बताया की दलाल हर व्यक्ति से बॉर्डर पार करवाने के लिए 3 से 5 हजार रुपये वसूलते हैं. दलाल रात के अंधेरे में नोदाबास जैसे सीमाई इलाकों से भारत में एंट्री दिलाते हैं.
बांग्लादेशी नागरिक ने बताया कि दलालों की मदद से उसे भारत में एंट्री मिली.
फर्जी तरीके से दस्तावेज बनवा लिए
पहचान की नई कहानी सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इन अवैध नागरिकों को भारत में पहचान भी दिलवाई गई. फर्जी दस्तावेजों के जरिए. नारनौल, खंडेला और झुंझुनूं के अलग-अलग गांवों से इन लोगों को जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और अन्य जरूरी कागजात उपलब्ध करवाए गए.
बांग्लादेशी नागरिक ने बताया कि दलाल ने पैसे लेकर भारत में एंट्री दिलाई.
150 रुपए में आधार कार्ड बनवाया
इसके बाद किसी ने 50 तो किसी ने 150 रुपये में आधार कार्ड बनवाया. कुछ ने पैन कार्ड भी बनवा लिए. ये सिर्फ कुछ मजदूर नहीं हैं. यह पूरी एक सुरक्षा चूक की कहानी है. जब किसी विदेशी को भारत में आधार कार्ड मिल जाता है. पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों ने कबूल किया कि वे पिछले 10 सालों से भारत में रह रहे थे, उन्हें अलग-अलग भट्टों पर काम दिलवाया जाता रहा. इनके बच्चे भी यहीं जन्मे. इतने वर्षों तक किसी को भनक तक नहीं लगी. यह सिस्टम की सबसे बड़ी असफलता है.
देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा
यह मामला एक बार फिर भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करता है. दलालों का यह नेटवर्क न केवल अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन रहा है. इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में भारत-बांग्लादेश सीमा पर अवैध घुसपैठ को रोका जा सके.
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