Banswara News: बांसवाड़ा के जनजाति अंचल में बच्चे टिनशेड में पढ़ने को मजबूर है. एक ऐसा स्कूल, जहां टिनशेड में किचन में बैठकर क्लास चल रही है. शिक्षा के लिए बुनियादी संसाधनों का ऐसा अभाव राजस्थान में आदिवासी इलाकों की तस्वीर बयां करती है. वागड़ के जनजातीय इलाकों में कुछ और ही बयां करती है. यह हालात आबापुरा तहसील की ग्राम पंचायत खोड़ीपीपली स्थित राजकीय प्राथमिक स्कूल के हैं. इस स्कूल में 62 विद्यार्थी नामांकित हैं, लेकिन भवन के नाम पर केवल 2 कमरे हैं. एक कमरा स्कूल स्टाफ के लिए है, जबकि दूसरा बच्चों के बैठने के लिए है. स्कूल की छतों में दरारें और जर्जर दीवारें साफ नजर आती हैं. बारिश के दिनों में इस कमरे में बैठकर पढ़ना किसी खतरे से खाली नहीं है.
बैठने के लिए उचित जगह ढूंढ पाना भी चुनौती
संसाधनों के अभाव में स्कूल शिक्षक बच्चों को मजबूरी में टिनशेड से बने मिड-डे मील किचन में बैठाकर पढ़ा रहे हैं. लेकिन यहां भी बैठ पाना मुश्किल है. क्योंकि टिन की छत से टपकता पानी और दीवारों से रिसाव के बीच बच्चों को बैठने के लिए सही जगह ढूंढ पाना भी चुनौती है. बारिश में तो स्थिति और भी खराब हो जाती है, कई बार बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते.
मजबूरी में चला रहे हैं काम- संस्था प्रधान
विद्यालय की कार्यवाहक संस्था प्रधान विना राय बताती हैं, “स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. हमने कई बार विभाग को भवन निर्माण को लेकर प्रार्थना पत्र भेजे हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. मजबूरी में जैसे-तैसे काम चला रहे हैं.”
शिक्षा विभाग पर खड़े होते सवाल
इस तस्वीर ने शिक्षा विभाग और प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल यह है कि जब शिक्षा की नींव ही इस तरह की बदहाली में होगी तो आदिवासी अंचल के ये बच्चे अपने सपनों को कैसे साकार कर पाएंगे?
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