Negligence of doctors in Banswara: बांसवाड़ा जिले में गर्भवती महिला की नसबंदी का मामला सामने आया है. जब उसकी तबीयत बिगड़ी तो डॉक्टर की जांच में मामला सामने आया. लापरवाही का यह मामला कुशलगढ़ के मोहकमपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) का है. महिला की सोनोग्राफी रिपोर्ट में सामने आया कि वह 3 माह की गर्भवती थी. आमलीपाड़ा निवासी पीड़िता के साथ यह लापरवाही 5 महीने पहले हुई थी, जिसका खुलासा अब हुआ है. इसी साल जनवरी में रमिला नाम की महिला उसके घर आई, जिसने खुद को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताया. उसने सलाह दी कि पीड़िता के चार बच्चे हो चुके हैं तो अब नसबंदी करवा लेनी चाहिए और इसके लिए सरकार से सहायता राशि भी मिलेगी. इसके बाद 10 जनवरी को पीड़िता को मोहकमपुरा सीएचसी लाया गया. लेकिन डॉक्टर ने बिना जांच किए ऑपरेशन कर दिया और प्रमाण-पत्र भी सौंप दिया.
सीएचसी स्टाफ ने दी धमकी
कुछ ही दिनों बाद महिला की तबीयत बिगड़ने लगी. जब सोनोग्राफी करवाई गई तो खुलासा हुआ कि महिला को गर्भ ठहरे 28 सप्ताह से अधिक हो चुके थे यानी वह अक्टूबर 2024 से ही गर्भवती थी. यही नहीं, पीड़िता को सीएसची के स्टाफ ने धमकाया भी. पीड़िता का आरोप है कि जब वह शिकायत लेकर सीएचसी पहुंची तो वहां मौजूद स्टाफ और चिकित्सकों ने न सिर्फ दुर्व्यवहार किया. बल्कि यह धमकी भी दी कि शिकायत की तो ठीक नहीं होगा.
स्वास्थ्य केंद्र पर खड़े हुए सवाल
दरअसल, नसबंदी से पहले महिला का अनिवार्य रूप से प्रेगनेंसी टेस्ट या मेडिकल जांच की जानी चाहिए थी. लेकिन लापरवाही के चलते यह प्रक्रिया पूरी तरह नजरअंदाज कर दी गई. इससे महिला की जान और गर्भस्थ शिशु दोनों खतरे में आ गए.
यह मामला न सिर्फ चिकित्सीय लापरवाही है, बल्कि मानवाधिकार उल्लंघन, महिला की गरिमा और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का गंभीर उदाहरण है.
अधिकारी बोले- शिकायत दर्ज रिपोर्ट भेजी है
ब्लॉक सीएमएचओ (छोटी सरवा) डॉ. गिरीश भाभोर इस मामले पर कहा, “यह केस हमारे संज्ञान में आया है. पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई थी. नसबंदी के लिए जिला स्तर से टीम आती है. हमने संस्थान से संबंधित दस्तावेज मंगवाकर रिपोर्ट सीएमएचओ को भेजी है.
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