Battle of Rajasthan: यहां BAP ने बढ़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच टेंशन, 28 में से 17 सीटें हैं आरक्षित

मेवाड़-वागड़ की 28 सीटों में 16 सीट अनुसूचित जनजाति व एक सीट अनुसूचित जाति की हैं. इन 17 आरक्षित सीटों पर मौजूदा कांग्रेस के 6, भाजपा के 7, एक निर्दलीय व दो भारतीय ट्राइबल पार्टी से विधायक हैं. 

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प्रतीकात्मक तस्वीर
Chittorgarh:

राजस्थान में विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही मेवाड़ की सभी 28 सीटों को लेकर पार्टियों ने एक्सरसाइज शुरू हो गई हैं. मेवाड़ की 28 सीटें प्रदेश की राजनीति में खासा प्रभाव रखती हैं, लेकिन मेवाड़ की नई नवेली पार्टी भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा के लिए टेंशन बढ़ा दी हैं.

गौरतलब है मेवाड़ की कुल 28 सीटों में से 17 सीटें आरक्षित हैं. इन आरक्षित सीटों पर कांग्रेस-भाजपा का वर्चस्व बराबर का हैं. प्रदेश में मेवाड़ इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां का जनजातीय क्षेत्र प्रदेश की सरकार बनाने व बिगाड़ने में खासा प्रभाव माना जाता हैं. प्रदेश में मौजूदा विधानसभा में दो आदिवासी सीटों पर भारत ट्राइबल पार्टी (BTP) के विधायक हैं.

मेवाड़-वागड़ की कुल 28 सीटों में 17 सीटें आरक्षित हैं. इनमें उदयपुर जिले की उदयपुर ग्रामीण, गोगुन्दा, झाड़ोल, खेरवाड़ा, सलूम्बर विधानसभा सीट आरक्षित हैं, जबकि चित्तौड़गढ़ जिले की कपासन विधानसभा सीट आरक्षित है.

दरअसल, मेवाड़ की 28 सीटों में से 17 सीटें आरक्षित सीटों पर नई पार्टी भारतीय आदिवासी पार्टी मेवाड़-वागड़ की सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही हैं.  नई पार्टी के सामने अब कड़ा इम्तिहान है कि वो कैसे कांग्रेस-भाजपा के पैठ जमाएं बैठे नेताओं को पछाड़ेगी. हालांकि इस पार्टी ने कांग्रेस-भाजपा की भी चिंता भी बढ़ा दी है.

पिछले विधानसभा चुनाव में मेवाड़-वागड़ से राज कुमार रोत और राम प्रसाद डिंडोर बीटीपी के बैनर तले ही चुनाव जीते थे. इन दोनों विधायक ने कांग्रेस को समर्थन दे रखा है. हालांकि बीटीपी के दोनों विधायकों ने अब नई पार्टी का दामन थाम लिया है. दोनों विधायक अब भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के बैनर तले ही चुनाव मैदान में उतरेंगे, जिससे राजस्थान के दोनों प्रमुख क्रमशः कांग्रेस-भाजपा की टेंशन बढ़ गई है. 

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वहीं, प्रतापगढ़ जिले में धरियावद व प्रतापगढ़ सीट भी आरक्षित है और डूंगरपुर जिले की आसपुर, चौरासी, सागवाड़ा, डूंगरपुर सीट अरक्षित है, वहीं, बांसवाडा जिले की घाटोल, गढ़ी, बांसवाड़ा, बागीदौरा, कुशलगढ़ सीट भी आरक्षित है. 

उल्लेखनीय है वर्ष 2021 में धरियावद विधानसभा के हुए उपचुनाव के दौरान आदिवासी समाज से जुड़े नेता इस विधानसभा में चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन भारतीय ट्राइबल पार्टी ने किसी भी नेता को टिकट नहीं दिया. ऐसे में आदिवासी भारतीय ट्राइबल पार्टी से नाराज हो गया। आदिवासियों ने नई पार्टी का गठन कर लिया. 

मेवाड़-वागड़ की कुल 28 सीटों में 17 सीटें आरक्षित हैं. इनमें उदयपुर जिले की उदयपुर ग्रामीण, गोगुन्दा, झाड़ोल, खेरवाड़ा, सलूम्बर विधानसभा सीट आरक्षित हैं, जबकि चित्तौड़गढ़ जिले की कपासन विधानसभा सीट आरक्षित है. वहीं, प्रतापगढ़ जिले में धरियावद व प्रतापगढ़ सीट भी आरक्षित है और डूंगरपुर जिले की आसपुर, चौरासी, सागवाड़ा, डूंगरपुर सीट अरक्षित है, वहीं, बांसवाडा जिले की घाटोल, गढ़ी, बांसवाड़ा, बागीदौरा, कुशलगढ़ सीट भी आरक्षित है. 

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