Rajasthan Politics: सदन में बीजेपी सांसद ने कर दी ऐसी मांग कि भड़क गए राजकुमार रोत, सोशल मीडिया पर छिड़ गई जंग

BJP MP Manna Lal Rawat: बीजेपी सांसद मन्नालाल रावत ने सदन में मौजूदा मानवशास्त्र पाठ्यक्रम की आलोचना करते हुए इस विषय को नहीं पढ़ाए जाने की मांग की थी.

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Manna Lal Rawat vs Rajkumar Roat: उदयपुर से बीजेपी सांसद मन्नालाल रावत और बीएपी सांसद राजकुमार रोत एक बार फिर आमने-सामने हो गए. मामला इस कदर बढ़ा कि सोशल मीडिया पर दोनों के बीच जमकर वार-पलटवार हुए. लोकसभा में बीजेपी सांसद के दिए बयान पर राजकुमार रोत ने सवाल खड़े किए. इसके बाद रावत ने भी भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सांसद पर पलटवार किया. दरअसल, रावत ने सदन में मौजूदा मानवशास्त्र पाठ्यक्रम की आलोचना करते हुए इस विषय को नहीं पढ़ाए जाने की मांग की थी. उनका दावा है कि यह (मानवशास्त्र) जनजातियों को मुख्यधारा के भारतीय समाज से अलग करके विभाजन को बढ़ावा देता है. इसी मामले पर राजकुमार रोत ने जब सवाल खड़े किए तो रावत ने भी जवाब दे दिया.

बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद रोत ने कहा, "उदयपुर सांसद महोदय संसद में एंथ्रोपोलॉजी (मानवशास्त्र) को खत्म करने की बात करते हैं तो कभी मानगढ़ के इतिहास को पाठ्यक्रम से हटाने की बात करते हैं. कुछ समय पहले आदिवासी शब्द का उपयोग और विश्व आदिवासी दिवस मनाने वाले लोगों को देशद्रोही कहते थे. अब जो विषय मानव विज्ञान का व्यवस्थित अध्ययन करवाता है, उसी विषय को भारत में बन्द करवाने की बात कर रहे हैं."

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रोत के बयान पर मन्नालाल रावत ने भी दिया जवाब

मन्नालाल रावत ने कहा कि आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर विवेक से चर्चा के बाद मैंने यह विषय लोकसभा में उठाया था. लेकिन जो कि चर्च की ही राजनीतिक इकाई थी, उसके अवशेष को समर्थन करने के लिए एक महारथी मैदान मे आ गया. इनको समझाना चाहिए कि एंथ्रोपोलॉजी सबसे पहले जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का भाग था, जो 1916 में भारत में लाया गया था. जूलॉजी में प्राणियों का अध्ययन होता है. इसी को षडयंत्रपूर्वक बाद में विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाने लगा. 

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बीजेपी सांसद ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि समाजशास्त्र में जिन समाजों को पढ़ाया जाता है, उसमें आदिवासी समाज को नहीं पढ़ाया जाता. यह अलगाव का बीज अंग्रेजों की देन थी और यह स्पष्ट है कि अंग्रेज चर्च की सत्ता थी. अब आप सभी सोचिए यह नए नारे वाला इकोसिस्टम किसकी मार्केटिंग कर रहा है." 

जानिए आखिर क्या है पूरी बहस 

लोकसभा सत्र के दौरान डॉ. मन्नालाल रावत ने भारत में शैक्षिक और सांस्कृतिक नीतियों को नया स्वरूप देने के उद्देश्य से कई उल्लेखनीय मांगें रखीं थी. उन्होंने मानवशास्त्र विषय को हटाने की मांग करते हुए कहा कि यह सामाजिक विभाजन बनाने और बनाए रखने के लिए बनाई गई औपनिवेशिक साजिश को दर्शाता है. विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में ऐसे पाठ्यक्रम शामिल होने चाहिए जो इस दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करें कि आदिवासी हिंदू संस्कृति का अभिन्न अंग हैं. 

उन्होंने मानवशास्त्र विषय को हटाने की मांग करते हुए कहा कि यह सामाजिक विभाजन बनाने और बनाए रखने के लिए बनाई गई औपनिवेशिक साजिश को दर्शाता है. 

उन्होंने कहा कि डॉ. जीएस धुर्वे के पाठ्यक्रम "आदिवासी हिंदू हैं" को भी सभी विश्वविद्यालय में पढ़ा जाना चाहिए. देशभर में आदिवासियों में भेद करने के लिए मानवशास्त्र में अलग से आदिवासी समाज को पढ़ाया जाता है. जबकि शेष समाज को समाजशास्त्र में पढ़ाया जाता है. सांसद ने मांग की थी कि यह विषय आने वाले समय में समाप्त होना चाहिए. इसी मांग पर बीएपी सांसद ने आपत्ति जाहिर की. 

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