Rajasthan News: जयपुर में बैठे बड़े अधिकारियों ने एक बार फिर बाड़मेर-जैसलमेर को 'काले पानी की सजा' घोषित कर दिया है. जिले में ऐसी चर्चा इसीलिए हो रही है क्योंकि झुंझुनू में जिंदा व्यक्ति का पोस्टमार्टम करने वाले 3 डॉक्टरों को सस्पेंड करके बाड़मेर, जैसलमेर और जालौर भेजा गया है. इस आदेश को पढ़कर लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या बाड़मेर-जैसलमेर के लोग इंसान नहीं हैं? ऐसे लापरवाह डॉक्टर को बाड़मेर-जैसलमेर भेजना कितना सही है? इन सवालों के कारण चिकित्सा विभाग का आदेश चर्चाओं में है.
पहले सुविधाओं का अभाव, अब समय बदला
बाड़मेर-जैसलमेर प्रदेश के पश्चिमी रेगिस्तान के जिले हैं. यहां किसी जमाने में पानी की भयंकर कमी और संसाधनों का अभाव हुआ करता था, जिसके चलते सरकारी अधिकारी की बाड़मेर पोस्टिंग सजा मानी जाती थी. लेकिन वर्तमान स्थितियां बिल्कुल विपरीत हैं. आज बाड़मेर-जैसलमेर जिलों में सोलर विंड मिल के साथ क्रूड ऑयल प्राकृतिक गैस के अथाह भंडार मिले हैं, जिससे प्रति व्यक्ति आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. बड़े-बड़े उद्योगों के साथ प्रदेश की पहली रिफायनरी बाड़मेर में स्थापित हो रही है. अब सरकारी कार्मिक और अधिकारी भी चाहते हैं कि उनकी पोस्टिंग बाड़मेर हो जाए.
अशोक चांदना ने कहा था- 'बाड़मेर भेज देंगे'
कई मंत्रियों और नेताओं ने अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए बाड़मेर को सजा के तौर पर बताया है. प्रदेश की पूर्व सरकार में मंत्री रहे अशोक चांदना के बोल सरकार में रहने के दौरान बिगड़े थे. उन्होंने जिला कलेक्टर को फोन पर लताड़ लगाते हुए बाड़मेर पोस्टिंग धमकी दी थी. इसके अलावा कई मामलों में अधिकारियों और कार्मिकों के किसी मामले में दोषी पाए जाने पर बाड़मेर-जैसलमेर पोस्टिंग कर सजा भी दी जा चुकी है.
झुंझुनू में कल क्या घटना घटी थी?
झुंझुनू में डॉक्टरों ने एक जिंदा व्यक्ति को पहले मृत घोषित कर दिया. इसके बाद उसका पोस्टमार्टम किया गया. फिर उसके शरीर को 2 घंटे के लिए डी फ्रिज में रखवा दिया गया. जब उस व्यक्ति के शव को अंतिम संस्कार के लिए चिता पर लिटाया गया, तब उसके शरीर में हलचल होने लगी. लोगों ने चेक किया तो उसकी सांसें चल रही थीं. इसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने इलाज के दौरान तड़के दम तोड़ दिया. इस बड़ी लापरवाही के लिए चिकित्सा विभाग ने झुंझुनू के बीडीके अस्पताल में पीएमओ डॉक्टर संदीप पांचाल, डॉक्टर योगेश कुमार जाखड़ और डॉक्टर नवनीत मिल को निलंबित करते हुए जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर भेजा दिया.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
सामाजिक कार्यकर्ता छोटू सिंह और रमेश इंदा ने भी बाड़मेर को काले पानी की सजा बताने का विरोध करते हुए कहा, 'ये जैसलमेर और बाड़मेर की जनता का अपमान है. हालत चाहे कैसे भी रहे हों, लेकिन बाड़मेर की जनता स्वाभिमान के साथ हर परिस्थितियों से सामना किया है. बाड़मेर-जैसलमेर के लोगों को गहरे पानी के लोग कहा जाता है. ये इलाका पश्चिमी सरहद पर है. 1965, 1971 में देश को इसकी जरूरत पड़ी है. यहां के वाशिंदों ने हमेशा अपने प्राणों को दांव में लगाकर देश हित में योगदान दिया है. देश की सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अग्रिम मोर्चे पर साथ दिया है.'
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