Barmer News: पाकिस्तान से विस्थापित महिलाएं अपने साथ लाई हैं यह बेहतरीन कला, लेकिन सरकारी मदद अब भी दूर 

महिलाओं का कहना है कि शहर के सेठ लोग उनको यह कपड़ा देकर जाते हैं, जिस पर वह अपनी पूरी मेहनत से सुई से रंग-बिरंगे धागों से कसीदाकारी करके आकर्षक बनाती हैं, लेकिन उसके बदले उनको मात्र 50 से 200 रुपए तक की मजदूरी मिलती है.

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महिलाएं कसीदाकारी करती हुई हैं.

Rajasthan News: बाड़मेर शहर के केराड़ू डूंगरी के पास बसी सुथारों बस्ती में सैकड़ों पाकिस्तान से विस्थापित होकर महिलाएं यहां रहती है. लेकिन वो अपने साथ सिंध की प्रसिद्ध कशीदाकारी कला भी साथ लाई हैं. यह महिलाएं कला के हुनर से अपनी आजीविका चलाने के प्रयास में लगी है, लेकिन उनके हुनर को प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा है.

पाकिस्तान से आकर बाड़मेर में बसे पाक विस्थापित अपने साथ सिंध की नायाब कसीदाकारी कला भी लेकर आए हैं, लेकिन यहां प्रोत्साहन के अभाव में वो कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं. किसी वक्त में उनका ये ही आजीविका का साधन था, लेकिन अब वो आकर्षक हस्तशिल्प उत्पाद बिक्री के अभाव में घर पर बेकार पड़े हैं.

हाथपंखे, चद्दर, रल्ली, थैले पर कसीदाकारी

ये महिलाएं कसीदा कारीकला के माध्यम से हाथपंखे, चद्दर, रल्ली, थैले, बच्चों के बिछोने, इंढोणी, सजावट के सामान आदि कसीदे से सजाती हैं. सुथार बस्ती की रहने वाली महिलाएं कहती हैं कि सालों से वह कसीदाकारी का कार्य कर रही हैं. उनके परिवार का गुजारा भी इसी से चल रहा है. उन्होंने सिंध की कला के जरिए भिन्न-भिन्न तरह के हस्तशिल्प उत्पादों का निर्माण किया है. उनके इन उत्पादों को विश्व स्तर पर भी पहचान मिली हुई है.

लेकिन उनको इस कला की जो मेहनत मजदूरी मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है, वहीं सरकार की ओर से उनकी इस कला को यहां कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है.

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मज़दूरी 200 रुपए और विदेशों में बिकते हैं महंगे 

महिलाओं का कहना है कि शहर के सेठ लोग उनको यह कपड़ा देकर जाते हैं, जिस पर वह अपनी पूरी मेहनत से सुई से रंग-बिरंगे धागों से कसीदाकारी करके आकर्षक बनाती है, लेकिन उसके बदले उनको अलग-अलग साइज डिजाइन के मात्र पांच 10- 50 ₹200 तक की मजदूरी मिल पाती है, लेकिन यह विदेश में महंगी दामों में बिकते हैं.

कसीदाकारी की कला से जुड़ी महिलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न स्तर पर हैरिटेज फैशन वीक, मेले, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं भी कार्य करती है. सुथार बस्ती की पाक विस्थापित महिलाओं के अनुसार उन्हें प्रोत्साहन व सुविधा मिले तो वे इस कला के माध्यम से अपना स्थाई रोजगार प्राप्त कर सकती है.

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