झालावाड़: घूस लेकर करीब 2500 फ्रीज बैंक खाते को फिर से किया चालू, जांच करने आए अफसर ने भी किया 'खेल'

राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के लगभग ढाई हजार फ्रीज खातों को घूस लेकर चालू कर दिया गया. बैंक खाते में 34-34 हजार रुपये आए थे, जिनको गलती से खातों में आया जाना माना जा रहा है.

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आरोपी के साथ गाड़ी में बैठकर आया जांच अधिकारी

Rajasthan News: झालावाड़ जिले के मनोहर थाना स्थित बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में खातों को पहले बंद करने और बाद में 8-8 हजार रुपए लेकर चालू किए जाने का मामला इन दिनों काफी चर्चा में है. झालावाड़ जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए है, लेकिन उससे पहले ही बैंक प्रबंधन द्वारा अजमेर से सोहन लाल नामक व्यक्ति को विभागीय जांच के लिए मनोहर थाना भेजा गया है. सोहनलाल जांच करने तो पहुंचे, लेकिन उन्होंने खुद ही एक ऐसे कारनामे को अंजाम दे डाला जो अब बैंक के लिए और भी सर का दर्द बन सकता है.

ब्रांच मैनेजर के साथ आए अधिकारी

मनोहर थाना के छुवाड़लिया गांव में जांच करने पहुंचे सोहनलाल ब्रांच मैनेजर के साथ उनकी कार में सवार थे. जांच करने आए सोहनलाल के साथ बैंक बीसी नंदराम भी मौजूद था. ध्यान देने वाली बात है कि ब्रांच मैनेजर और बैंक बीसी नंदराम पर ही इस गड़बड़झाले करने का आरोप है. आरोपियों के साथ जांच अधिकारी पीड़ितों के बयान लेने जा पहुंचे तो इसका कुछ लोगों ने विरोध भी किया. इस पर जांच अधिकारी ने मनोहर थाने में सभी से आने को कहा. जब एनडीटीवी ने इस मामले में जांच अधिकारी से बात की तो अधिकारी ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. 

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क्या है ये बैंक घोटाला

दरअसल, बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के 9000 खातों में 34-34 हजार रुपए 28 और 29 मार्च 2024 को जमा हुए थे, जिनका गलती से खातों में आया जाना माना जा रहा है. जैसे ही यह पैसे खातों में जमा हुए तो बैंक प्रबंधन द्वारा 2 अप्रैल को खाते फ्रीज कर दिए गए. उसके बाद जब बैंक के खाताधारकों को पैसे आने का मैसेज मिला तो वह बैंक पहुंचने लगे, जहां से बैंक मैनेजर अश्वनी नायक द्वारा उनको बैंक के बाहर बैठने वाले बैंक बीसी नंदराम के पास भेज दिया गया. उसके बाद से 15 मई 2024 तक बैंक और बैंक बीसी के माध्यम से भ्रष्टाचार का यह खेल चलता रहा. लगभग ढाई हजार खातों को रिश्वत लेकर चालू कर दिया गया.

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बैंक बी सी नंदराम ने कहा कि तुम्हारे खाते बंद हैं. आठ हजार रुपये प्रति खाते मुझे दे दो, खाता चालू करवा कर उसमें जमा पैसे निकलवा कर दे दूंगा. 

कलेक्टर के पत्र से सकते में अधिकारी

15 मई को टोंक जिला कलेक्टर का पत्र बैंक को मिला, जिसमें गलती से पैसा ट्रांसफर हो जाने की बात लिखी थी. पत्र के मिलने के बाद बैंक प्रबंधन सकते में आ गया. जानकारी के मुताबिक, हर साल इस प्रकार का बैंक में पासा आता है. सरकारी आंकड़ों में हेर-फेर करके फर्जी तरीके से यह पैसा डाला जाता है और इसको भ्रष्टाचार के माध्यम से खुर्द बुद्ध कर दिया जाता है. मामले में उच्च अधिकारियों की संलिप्त से इनकार नहीं किया जा सकता है. फ्रीज खातों को खोलने के लिए उच्च अधिकारियों के आदेश की जरूरत पड़ती है. ऐसे में सवाल है कि मैनेजर द्वारा किस अधिकारी के आदेश के बाद खातों से फ्रीज हटाया गया.

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