Ashok Gehlot: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट सत्र से पहले भजनलाल सरकार से ‘स्वास्थ्य का अधिकार' (Right To Health) नियम की मांग की है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के अधिकार के नियम जल्द से जल्द बनाकर लागू करना चाहिए. वहीं अशोक गहलोत ने कुछ चिकित्सकों द्वारा ‘चिरंजीवी योजना' को कथित तौर पर विफल बताए जाने की आलोचना की. उन्होंने बताया कि उन्होंन चिरंजीवी योजना के तहत अपना ऑपरेशन क्यों नहीं करवाया.
राउट टू हेल्थ कानून बनाए सरकार
गहलोत ने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स' पर पोस्ट कर कहा, ‘‘हमारी सरकार ने ‘राइट टू हेल्थ' का कानून बनाया ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में नि:शुल्क इलाज हो सके. वर्तमान सरकार को चिकित्सकों के संघों को विश्वास में लेकर ‘राइट टू हेल्थ' के नियम जल्द से जल्द बनाकर लागू करने चाहिए जिससे राजस्थान के हर निवासी को इलाज का अधिकार मिले.''
कुछ मीडिया खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ बजट पूर्व समीक्षा में कुछ निजी चिकित्सकों ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की आलोचना की थी.
इस पर पलटवार करते हुए गहलोत ने कहा, ‘‘बजट पूर्व चर्चा में किसी चिकित्सक द्वारा मेरे ऑपरेशन पर तथ्यात्मक रूप से दिया गया गलत बयान मीडिया के माध्यम से जानकारी में आया है. मेरा हर्निया का ऑपरेशन फरवरी 2019 में हुआ था जबकि चिरंजीवी योजना मई 2021 से शुरू हुई थी.''
गहलोत ने कहा, ‘‘मेरी आर्टरी में ब्लॉकेज, पैरों के अंगूठों में फ्रैक्चर एवं कोविड के बाद हैप्पी हाइपोक्सिया होने पर इसका इलाज जयपुर के एसएमएस अस्पताल में ही हुआ जिसके कारण मैं वहां कुछ दिन भर्ती भी रहा और सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर ही इलाज करवाया.''
उन्होंने कहा, ‘‘चिरंजीवी योजना से लाखों लोगों के जीवन में सुधार हुआ है. अगर ये योजना न होती तो न जाने कितने गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवारों की जमीन-जायदाद इलाज के लिए बिक जाती. निजी अस्पतालों के कुछ चिकित्सकों को ऐसा असत्य बोलकर एक अच्छी योजना एवं मेडिकल जैसे पवित्र पेशे को बदनाम करने से बचना चाहिए.''
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