Rajasthan: 8 लाख खर्च कर अमरूदों की खेती से हर साल 22 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे किसान  

किसान चंद्रभान सिंह ने बताया कि वर्फखान अमरूदों की किस्म अच्छी है. इसके अमरूद का वजन 500 ग्राम से अधिक होता है साथ ही इसमें मिठास अच्छी होती है. एक पेड़ में करीब 600 किलो अमरूदों का उत्पादन होता है. उनके अमरूदों की सप्लाई दिल्ली, जयपुर,आगरा,मथुरा, बालाजी आदि क्षेत्र में होती है

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Guava Cultivation In Bharatpur: भरतपुर जिले का वैर उपखंड क्षेत्र रियासत कालीन से बागवानी के लिए जाना जाता हैं. यही वजह है कि यहां के किसान पारंपरिक खेती के अलावा बागवानी पर विशेष ध्यान देते हैं. क्योंकि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ उन्हें तीन गुना मुनाफा होता है. एक ऐसे ही किसान हैं उपखंड के गांव गोठरा निवासी चंद्रभान और पुष्पेंद्र दोनों भाई है जो करीब 10 साल से सवाई माधोपुर के किसानों से प्रभावित होकर अमरूदों की बागवानी 15 बीघा भूमि में कर रहे हैं और हर साल 8 लाख की लागत के बाद 22 लाख रुपए का मुनाफा ले रहा है.

नींबू की बागवानी छोड़ लगाए अमरूद 

वैर उपखंड के गांव गोठरा निवासी किसान पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि वह पहले नींबू की बागवानी करते थे.10 साल पहले सवाई माधोपुर के किसानों से प्रभावित हो कर उन्होंने 15 बीघा भूमि में बर्फखान यानि गोला किस्म के अमरूदों की बागवानी शुरू की थी. उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित मालिया बाग से करीब 32 सौ अमरूदों के पौधे 50 हजार रुपए की कीमत में खरीदे थे.

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अमरूदों के पेड़ों में 1 साल में दो बार फल आते हैं

अमरूद के पौधे लगाने के 3 साल बाद फल आना शुरू हो गया. इन अमरूदों के पेड़ों में 1 साल में दो बार फल आते हैं. एक बार बारिश का मौसम तो दूसरी बार नवंबर से फरवरी तक इनका सीजन रहता है. 15 बीघा अमरूदों की बागवानी में करीब आठ लाख रुपए के आसपास लागत आती है और इसके अलावा किस को 22 लाख रुपए का मुनाफा होता है. किसान का कहना है कि बागवानी से किस की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. 

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एक पेड़ में करीब 600 किलो अमरूदों का उत्पादन होता है

किसान चंद्रभान सिंह ने बताया कि वर्फखान अमरूदों की किस्म अच्छी है. इसके अमरूद का वजन 500 ग्राम से अधिक होता है साथ ही इसमें मिठास अच्छी होती है. एक पेड़ में करीब 600 किलो अमरूदों का उत्पादन होता है. उनके अमरूदों की सप्लाई दिल्ली, जयपुर,आगरा,मथुरा, बालाजी आदि क्षेत्र में होती है. उन्होंने किसानों से कहा है कि किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ बागवानी की ओर जरूर रुख करना चाहिए. 

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