Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर में नगर निगम ने बुधवार सुबह बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया. निगम की टीम ने कुम्हेर गेट के पास स्थित एक अतिक्रमित जमीन को खाली कराया, जिसकी बाजार में कीमत करीब 10 से 15 करोड़ रुपये बताई गई. इस कार्रवाई से पहले छत्रभान को कई बार नोटिस दिया गया था, लेकिन उन्होंने अतिक्रमण नहीं हटाया. इसी के चलते नगर निगम आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई और आईएएस विजय प्रताप के नेतृत्व में इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.
25 साल से नहीं दिया था किराया
नगर निगम आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई ने बताया कि यह जमीन निगम की 'निजूल भूमि' संख्या 10 है, जिसे साल 1963 में छत्तरभान सिंह को इंडस्ट्रियल परपज के लिए मात्र 314 रुपये सालाना किराए पर अलॉट किया गया था. आवंटनधारी ने पिछले 25 वर्षों से न तो निर्धारित किराया जमा कराया और न ही इस जमीन का उपयोग इइंडस्ट्रियल परपज के लिए किया.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक्शन
निगम आयुक्त ने बताया कि शर्तों के लगातार उल्लंघन के कारण पिछले महीने प्लॉट अलॉटमेंट कैंसिल कर दिया गया था. इसके बाद आवंटनधारी ने राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने 3 सितंबर को अपने निर्णय में निगम के पक्ष में फैसला सुनाया और आवंटनधारी को 30 दिन में कब्जा सुपुर्द करने का आदेश दिया.
दबंगों पर भारी पड़ी निगम टीम
कोर्ट से मिली 30 दिन की समय अवधि बीत जाने और कोई जवाब न मिलने के बाद, बुधवार को नगर निगम आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई और आईएएस विजय प्रताप के नेतृत्व में निगम की टीम भारी बल के साथ मौके पर पहुंची. निगम ने जमीन पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया और सरकारी जमीन को कब्जे में ले लिया.
30 हजार रुपये का किराया
आयुक्त विश्नोई ने स्पष्ट किया कि निगम अब हाई कोर्ट के निर्देशानुसार, उक्त आदेश की तारीख से, 30 दिवस की अवधि गुजरने के बाद से, कब्जा सुपुर्द करने की अवधि गुजरने के बाद से, सुपुर्द करने तक, हर महीने 30 हजार रुपये बतौर किराया/जुर्माना भी वसूलेगा, जिसका हर्जा-खर्चा अतिक्रमणकारी को वहन करना होगा.
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