Lok Sabha Elections Results 2024: शुरुआती रुझानों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है. पिछले 2 बार से अपना खाता तक न खोल पाने वाली कांग्रेस इस बार बीजेपी से सिर्फ एक सीट पीछे नजर आ रही है. रुझानों में बीजेपी 13 तो कांग्रेस 12 सीटों पर जीत हासिल कर रही है. कांग्रेस के तीनों गठबंधन प्रत्याशी भी बड़े अंतर से जीत हासिल करते हुए नजर आ रहे हैं. अगर ये आंकड़ा नतीजों में बदलता है तो बीजेपी के लिए बहुत बड़ा झटका माना जाएगा. हालांकि बाड़मेर लोकसभा सीट से जीत का दावा करने वाले रविंद्र सिंह भाटी कई हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं. लेकिन वोटों की गिनती अभी भी जारी है और किसी भी वक्त गेम पलट सकता है.
महज 5 महीने पहले बनी भाजपा सरकार के लिए यह चुनाव एक चुनौती की तरह था. खास तौर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए यह चुनाव 'लिटमस टेस्ट' था. अगर यह रुझान परिणाम में बदल जाते हैं तो यह कहा जा सकता है कि भजनलाल शर्मा इस टेस्ट में 'फेल' हो गए हैं. इतना ही नहीं जहां से मुख्यमंत्री आते हैं, उस भरतपुर लोकसभा सीट से भाजपा हार गई है.
पूर्वी राजस्थान में साफ हुई भाजपा
पूर्वी राजस्थान का मतदाता लगभग हर चुनाव में अपना निर्णय बदलता रहता है. इस बार लोकसभा चुनाव में पूर्वी राजस्थान में भाजपा को वो सफलता नहीं मिल सकी जो 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली थी. पूर्वी राजस्थान की प्रमुख सीट टोंक-सवाई माधोपुर से हरीश मीणा, दौसा से मुरारी लाल मीणा, भरतपुर से संजना जाटव और करौली-धौलपुर लोकसभा सीटों पर भाजपा की हार मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए धक्का साबित हो सकती है.
खास बात यह है कि इन चार सीटों में से दो सीटें भरतपुर और करौली -धौलपुर SC आरक्षित सीट है. वहीं दौसा लोकसभा सीट ST आरक्षित है. अभी 5 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन इस इलाके को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. जहां कांग्रेस ने इस चुनाव में वापसी की है.
वसुंधरा राजे को इग्नोर करने की ग़लती !
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद पहले वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री ना बनाना और लोकसभा चुनाव में उन्हें पूरी तरह इग्नोर करने का नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा है. ऐसे भाजपा के अंदर इस बार की चर्चा भी हो रही है कि, क्या भजनलाल शर्मा प्रदेश में भाजपा का नेतृत्त्व कर सकते हैं या नहीं?