Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को राजस्थानी भाषा (Rajasthani Language) को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का मुद्दा उठा. भाजपा विधायक हमीर सिंह भायल (Hameer Singh Bhayal) ने यह मुद्दा उठाते हुए सरकार से जवाब मांगा. उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के चलते अभी तक राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है.
भायल ने सदन में तर्क दिया कि अब तक 8वीं अनुसूची में 22 भाषाएं शामिल हो चुकी हैं, जबकि राजस्थानी भाषा 17 अनुसूचित भाषाओं से भी बड़ी और समृद्ध है. उन्होंने कहा कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी में यह भाषा पढ़ाई जाती है फिर भी इसे मान्यता नहीं दी जा रही.
'बोलियों में बांटने की साजिश'
हमीर सिंह भायल ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मारवाड़ी, मेवाड़ी, शेखावाटी, हाड़ौती और बृज जैसी अलग-अलग बोलियों में बांटकर इसकी मान्यता में अड़चन डाली जा रही है. उन्होंने कहा कि यह एक सोची-समझी रणनीति है ताकि राजस्थानी भाषा को संविधान में स्थान न मिल सके.
'पूर्व में भेजा जा चुका है प्रस्ताव'
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा जा चुका है और पूर्व में केंद्रीय गृह मंत्री ने इस पर सकारात्मक आश्वासन भी दिया था. राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के लिए साहित्यकार एचएस महापात्र की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की अनुशंसा की थी, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
'केंद्र पर दबाव बनाए सरकार'
भायल ने सरकार से अपील की कि राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाया जाए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार गंभीर होती तो यह मुद्दा अब तक सुलझ चुका होता.
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