Rajastan: बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा को गिरफ्तारी वारंट, 14 मई तक सरेंडर का आदेश

Rajasthan: एसडीएम पर पिस्तौल तानने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में अंता से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा दोषी पाए गए हैं.

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अंता व‍िधानसभा से बीजेपी व‍िधायक कंवर लाल मीणा के ख‍िलाफ ग‍िरफ्तारी वारंट जारी.

Rajasthan: झालावाड़ जिले की मनोहरथाना एसीजेएम कोर्ट ने कंवरलाल मीणा के खिलाफ 20 साल पुराने मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. कोर्ट ने उन्हें 14 मई तक न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने सरेंडर करने के आदेश दिए हैं, यदि वे सरेंडर नहीं करते हैं, तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया था, और दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था.

तीन साल की सजा बरकरार

झालावाड़ की एडीजे अकलेरा कोर्ट ने विधायक कंवरलाल को राजकार्य में बाधा पहुंचाने, सरकारी अधिकारियों को धमकाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना था. 14 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ विधायक ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे खारिज कर दिया गया और सजा को बरकरार रखा गया.

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सरेंडर नहीं किया तो गिरफ्तारी तय

सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. ट्रायल कोर्ट (ACJM, मनोहरथाना) ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है. विधायक को ACJM कोर्ट, मनोहरथाना या ADJ कोर्ट, अकलेरा में सरेंडर करना होगा. ऐसा नहीं करने पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करेगी.

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सुप्रीम कोर्ट में सभी दलीलें खारिज

7 मई को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस संजय करोल की बेंच में सुनवाई हुई थी. विधायक के वकील नमित सक्सेना ने दलील दी कि रिवॉल्वर की कोई बरामदगी नहीं हुई, इसलिए 'क्रिमिनल फोर्स' का मामला नहीं बनता. वीडियो कैसेट भी पुलिस ने बरामद नहीं की, इसलिए संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी निराधार है. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज कर दिया.

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कंवरलाल के ख‍िलाफ 15 आपराध‍िक मामले दर्ज 

हाईकोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा था कि कंवरलाल ने खुद को राजनीतिक व्यक्ति बताया, लेकिन उन्होंने कानून की रक्षा के बजाय उसकी अवहेलना की. उनके खिलाफ पहले से 15 आपराधिक मामले दर्ज हैं. भले ही अधिकतर मामलों में वे दोषमुक्त हुए हों, लेकिन उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

20 साल पहले एसडीएम पर तानी थी पिस्तौल

3 फरवरी 2005 को झालावाड़ के मनोहरथाना से दो किलोमीटर दूर दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर ग्रामीणों ने उपसरपंच चुनाव को लेकर रास्ता जाम कर रखा था. सूचना पर तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी. यशवंत और तहसीलदार रामकुमार मौके पर पहुंचे और समझाइश देने लगे. तभी कंवरलाल मीणा अपने साथियों के साथ पहुंचे और एसडीएम की कनपटी पर पिस्तौल तानकर धमकी दी कि यदि दोबारा मतगणना की घोषणा नहीं हुई तो वह उन्हें जान से मार देगा.

कंवरलाल मीणा अपने साथियों के साथ पहुंचे और एसडीएम की कनपटी पर पिस्तौल तानकर धमकी दी कि यदि दोबारा मतगणना की घोषणा नहीं हुई तो वह उन्हें जान से मार देगा.

ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार द‍िया 

इसके बाद उन्होंने विभागीय फोटोग्राफर के कैमरे से कैसेट निकालकर उसे तोड़ दिया और जला दिया. डॉक्टर प्रीतम का डिजिटल कैमरा भी छीन लिया, जिसे करीब 20 मिनट बाद लौटाया गया. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2 अप्रैल 2018 को कंवरलाल को दोषमुक्त किया था, लेकिन अपील कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए उन्हें दोषी करार दिया.

विधायकी खत्म होना तय

कंवरलाल मीणा की विधायकी जाना तय माना जा रहा है. विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी इस संबंध में राज्य के महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकीलों से कानूनी राय ले चुके हैं. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार, दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर विधानसभा या संसद की सदस्यता समाप्त हो जाती है. दोषी ठहराए गए सांसद या विधायक छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते. ऐसे में कंवरलाल न केवल अंता से होने वाले उपचुनाव बल्कि 2028 का विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे.

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