उदयपुर में दिखा ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक, बेहद फ्रेंडली होते हैं ये दुर्लभ सांप

ब्लैक-हेडेड रॉयल स्नैक सबसे बड़े कोलुब्रिड परिवार का सदस्य है. यह लगभग 2 मीटर तक की लम्बाई का होता है. पीले-नारंगी और काले रंगों वाली सांप की यह प्रजाति पश्चिमी भारत में प्रतिष्ठित सांप की श्रेणी की मानी जाती है. इस प्रजाति का सांप फ्रेंडली माना जाता है. उदयपुर में इसका दिखना किसी आश्चर्य से कम नहीं है.

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बेहद फ्रेंडली होते हैं ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक
Udaipur:

झीलों की नगर उदयपुर में एक दुर्लभ प्रजाति का सांप देखा गया. ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक (Black Hedead Royal Snake) के उदयपुर में दिखने की सूचनासेव एनिमल रेस्क्यु टीम ने दी. मंगलवार को इस दुर्लभ सांप को फतहपुरा में देखा गया. रेस्क्यू टीम के मुताबिक फतहपुरा के निकट पुला कच्ची बस्ती के घर के अंदर मौजूद यह सांप आम सांपों से बिल्कुल अगल है.

सेव एनिमल रेस्क्यु टीम के सदस्य प्रकाश गमेती ओर उनके साथियों ने मौके पर पहुंचकर इस दुर्लभ सांप का रेस्क्यू किया. वन विभाग के सदस्य भानु प्रताप सिंह को बताया कि यह दुर्लभ सांप आमतौर पर उदयपुर के आसपास नहीं पाया जाता है. उन्होंने कहा कि उदयपुर में ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक का मिलना बड़े आश्चर्य की बात है.

दुर्लभ प्रजाति वाले ब्लैड हेडेड रॉयल स्नेक को आमतौर पर रेगिस्तानी इलाकों मसलन बीकानेर,बाड़मेर,जोधपुर और जैसलमेर जैसे इलाके में पाया जाता है.

देश के सबसे बड़े कोलुब्रिड परिवार का सदस्य है ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक

दुर्लभ प्रजाति वाले ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक के रंगों और उसकी बनावट पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसका रंग बहुत ही भिन्न और अलहदा होता है. फिलहाल, रेस्क्यू टीम ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक को वन विभाग के निर्देशानुसार सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया है.

गौरतलब है ब्लैक-हेडेड रॉयल स्नैक सबसे बड़े कोलुब्रिड परिवार का सदस्य है. यह लगभग 2 मीटर तक की लम्बाई का होता है. पीले-नारंगी और काले रंगों वाली सांप की यह प्रजाति पश्चिमी भारत में प्रतिष्ठित सांप की श्रेणी की मानी जाती है. इस प्रजाति का सांप फ्रेंडली माना जाता है. उदयपुर में इसका दिखना किसी आश्चर्य से कम नहीं है.

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अपने संपूर्ण जीवन में तीन अलग-अलग रंग प्रतिरूप में दिखने वाले वयस्क ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक को उसके शरीर में कम या ज्यादा काले धब्बों के साथ लाल-भूरे या नारंगी रंग के द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है और इस प्रजाति के सांप का शरीर पतला और छिले हुए शल्कों से ढका होता है, जो इनके जीवन के विभिन्न चरणों में भिन्नताओं को दर्शाता है.

किशोर अवस्था में ये दुर्लभ सांप हल्के भूरे या पीले-नारंगी रंग के होते हैं और उनके पूरे ऊपरी शरीर पर बड़े चौकोर या अंडाकार गहरे भूरे रंग के धब्बों की एक श्रृंखला होती है.

उनके मुताबिक किशोरवय ब्लैक हेडेड रॉयल स्नके के सिर पर काले निशान होते है और इनके आंखों के बीच एक मोटी पट्टी होती है. साथ ही, इनके सिर के पीछे एक और तीर जैसी पट्टी होती है. उन्होंने कहा कि सामान्तया वयस्क ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक नारंगी, नारंगी-भूरे या पीले रंग के होते हैं और इनके पूरे शरीर पर अनियमित मात्रा में काले धब्बे इधर-उधर होते हैं.

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वयस्कों में सिर नीलापन लिए हुए काला या लाल-काला होता है, जबकि उप-वयस्क सांपों के रंगों के पैटर्न में मध्यवर्ती रूप दिखाते हैं.उनका निचला भाग आमतौर पर  गुलाबी होता है, जिसमें विभिन्न मात्रा में अनियमित रूप से बिखरे हुए काले धब्बे होते हैं. वहीं, इन दुर्लभ सांपों का सिर थोड़ा दबा हुआ, लम्बा, त्रिकोणीय और गर्दन की तुलना में चौड़ा होता है.

ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक की आंखों की पुतली गोल होती है और यह सांप गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर में पाया जाता है. सेव एनिमल रेस्क्यू टीम ने बताया कि इस पूरे मानसून के मौसम में 500 से अधिक विभिन्न प्रकार के सांपों का रेस्क्यू किया गया, इनमें अजगर भी शामिल हैं. 

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