बूंदी में दो द‍िन से नहीं टूटी बार‍िश की बूंद, 10 ड‍िग्री पारा लुढ़का; 150 बीघा धान की फसल डूबी

लगातार बारिश से नदी-नाले उफान हैं. जैतपुर एनिकट पर चादर चल रही है. किसानों की फसल चौपट हो गई है.

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बूंदी में सोमवार से बारिश हो रही है.

बूंदी जिले में सोमवार से शुरू हुई बार‍िश मंगलवार तक थमने का नाम नहीं ले रही. लगातार बार‍िश के चलते जिलेभर के तापमान में करीब 10 डिग्री तक की गिरावट दर्ज की गई है. ठंडी हवाओं के साथ मौसम में ठिठुरन बढ़ गई है, जिससे लोगों को नवंबर से पहले ही सर्दी का अहसास होने लगा है.

पानी की चल रही चादर 

लगातार हो रही बारिश से पहाड़ियों से पानी उतरने लगा है, जिसके चलते नदी-नालों में पानी बढ़ गया है. देई क्षेत्र के पीपल्या गांव में स्टेट हाईवे पर एनिकट पर पानी की चादर चल रही है, हालांकि आवागमन फिलहाल सुचारू है. निर्माणाधीन बूंदी ब्रांच केनाल का कार्य समय पर पूरा नहीं होने से कई क्षेत्रों में पानी का ओवरफ्लो देखा गया. इसका असर किसानों की फसलों पर भी पड़ा है.

150 बीघा धान की फसल डूबी 

कुण्डालिया ग्राम पंचायत के नयागांव और झरबालपुरा क्षेत्र में लगभग 150 बीघा धान की फसल पानी में डूब गई है. खेत जलमग्न होने से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. किसानों का कहना है कि नहर का निर्माण कार्य अधूरा छोड़ देने से पानी खेतों में घुस गया. कई किसान अपनी पकी हुई फसल को काटकर मंडी भेजने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन बारिश और पानी भराव से उनका पूरा परिश्रम बर्बाद हो गया. ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द राहत और मुआवजे की मांग की है, जबकि कृषि विभाग ने नुकसान का आकलन शुरू करने की बात कही है.

धान की क्वालिटी खराब हो गई 

धान की फसल में सबसे अधिक नुकसान हुआ है. खेतों में खड़ी और काटकर रखी फसलें दोनों ही बर्बाद हो चुकी हैं. कई किसानों के खेतों में पानी जमा हो गया है, जिससे धान, सरसों, चना और मसूर की फसलें सड़ने लगी हैं. इंद्र मीणा ने बताया कि बारिश से कटी हुई धान पूरी तरह खराब हो गई. खेतों में खड़ी फसल झुक गई है और रंग उड़ गया है. धान की क्वालिटी कमजोर पड़ गई है, जिससे बाजार में आधे दाम भी नहीं मिलेंगे. उन्होंने कहा, “पहले तेज बारिश से बुआई में देरी हुई थी, अब कटाई की फसल भी डूब गई. लागत तक नहीं निकलेगी, तो उधार कैसे चुकाएं. धान पूरी तरह खराब हो चुकी है. गेहूं की बुआई अब 15 दिन लेट होगी. खेत सूखने में ही 10-15 दिन लगेंगे.

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