Chhath Puja 2025 First Arag Time: लोक-आस्था से छठ महापर्व का आज यानी सोमवार को तीसरा दिन है. इस दिन छठव्रती पूरे दिन निर्जल व्रत रखते हुए शाम को डूबते यानी अस्थागामी सूर्य को अर्घ्य देते है. यह त्योहार भगवान सूर्य और माता छठी को समर्पित होता है.वैदिक पंचांग के अनुसार छठ महापर्व कार्तिक माह की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जिसमें अस्त होते और उदय होते सूर्य देवता को अर्घ्य देकर मनाया जाता है. इस बार छठ महापर्व 25 अक्तूबर को शुरू होकर 28 अक्तूबर तक चलेगा.
छठी मैया को माना जाता है सूर्य की बहन
27 अक्तूबर यानी आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है, जो बहुत ही खास होता है. इस दिन संध्या अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है.षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और उगते सूर्य सप्तमी को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होता है. छठी मैया को देवी कात्यायनी (मां पार्वती का रूप) और सूर्यदेव की बहन माना जाता है. इसलिए यह व्रत सूर्य-षष्ठी या छठी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
रवि योग में दिया जाएगा पहला संध्या अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी संध्या अर्घ्य के दिन भक्त डूबते हुए सूर्य को जल अर्पित करते हैं. केवल छठ पूजा में ही डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस बार रवि योग में संध्या अर्घ्य दिया जाएगा, जिससे इसकी महत्ता और भी बढ़ गया है क्योंकि यह योग सूर्यदेव को ही समर्पित है.
आज सूर्यास्त का समय
संध्या अर्घ्य का समय सूर्यास्त के समय दिया जाता है. आज सूर्यास्त का सामान्य समय लगभग शाम 05 बजकर 40 मिनट है. छठ पूजा का मुख्य अनुष्ठान सूर्यास्त के समय ही करने का विधान है. वहीं कल यानी 28 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर होगा.
संध्या अर्घ्य की विधि
संध्या अर्घ्य के समय शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए. व्रती आम तौर पर पीले या सफेद वस्त्र पहनते हैं. संध्या अर्घ्य के समय नदी, तालाब या जलाशय के किनारे जाना चाहिए. फिर एक साफ और सुरक्षित स्थान चुनाव करना चाहिए. प्रसाद के रूप में पारंपरिक प्रसाद जैसे ठेकुआ, फल, सिंघाड़ा और गुड़ तैयार करना चाहिए. सूर्य अर्घ्य से पहले शुद्ध दीपक और घी तैयार रखना चाहिए. पूरे समय भक्ति और ध्यान में रहना चाहिए. अर्घ्य देने के दौरान सूर्यदेव के विशेष मत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए.
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