Rajasthan News: अलग-अलग पार्टियों के 8-10 मुख्यमंत्री मेरे दोस्त हैं. आपका सम्मान मैंने कभी घटने नहीं दिया. लेकिन अब वक्त आ गया है. मैं कब तक अकेला लड़ता रहूंगा. मेरा काम यही तो नहीं रह गया कि मैं जिसे नेता बनाऊं वही छुरा लेकर मारने मेरे सामने कूद जाए. 100 से ज्यादा लोग मुझे छोड़कर भाग गए. कहीं न कहीं से ऑफर आ जाते हैं. कभी जातिवाद की लहर चलती है, वो जीतकर आ जाते हैं, और हमें मारने के लिए हमारे ही लोग सामने आकर खड़े हो जाते हैं. यह बयान राष्ट्रीय लोकतांत्रि पार्टी के सुप्रीमो और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने 24 फरवरी की रात ओसियां के बैठवासिया गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा में भाग लेने के दौरान दिया. यह बयान इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
ज्योति मिर्धा पर साधा निशाना
नागौर सांसद ने कहा, 'ज्योति मिर्धा का परिवार गुमनामी के अंधेरे में चला गया था. इस परिवार की राजनीतिक हत्या करके रिछपाल मिर्धा खुद नाथूराम का उत्तराधिकारी बन गया था. जब मुझे तरस आया. मैं उस वक्त के डीडवाना के विधायक से बात की मैंने कहा कि इन दोनों को घर बैठाओ और नया उम्मीदवार खड़ा करो. तब ज्योति मिर्धा का नाम मेरे सामने रखा गया. मैंने मंजूरी दी. उस वक्त मैंने बीजेपी में होते हुए कांग्रेस की प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को सांसद बनने में मदद की. लेकिन जब ज्योति मिर्धा ने जीतने के बाद मेरा विरोध शुरू किया और मुझे खत्म करने की बात कही तो लड़ाई शुरू हो गई.'
'हर बार पार्टी मेरे दरवाजे पर आई'
हनुमान बेनीवाल ने आगे कहा, 'आज लोग कहते हैं कि हनुमान बेनीवाल खींवसर में हार गया. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि हनुमान बेनीवाल हारा नहीं है. मैं तो अपने चेहरे पर 95000 वोट लेकर आया हूं. राजस्थान के किसी एक नेता का नाम भी बता दो जो अपने चेहरे पर इतने वोट हासिल कर सके. सब पार्टियों के गुलाम बनकर आते हैं. किसी की औकात नहीं की अपने चेहरे पर 20 हजार भी वोट ले सके. मुझे कांग्रेस-बीजेपी की जरूरत नहीं है. हर बार पार्टी मेरे दरवाजे पर आती है. जब मैं बीजेपी के साथ था तो आपने कहा था कि पहले गहलोत के बेटे को हराओ. लो हरा दिया. अब उसकी जादूगरी का सर्टिफिकेट भी वापस ले लो.'
कांग्रेस को जमकर लताड़ा
कांग्रेस के नेता इंदिरा गांधी को 'दादी' कहने पर लड़ाई कर रहे हैं. इंदिरा गांधी कांग्रेस की ही दादी थी. भाजपा तो तब तक बनी ही नहीं थी. इस लड़ाई के चक्कर में इन्होंने तीन दिन खराब कर दिए. बाद में इन्होंने माफी मांगी और विधानसभा फिर शुरू हुई. तीन दिन सदन नहीं चलने के कारण जनता का पैसा बर्बाद हुआ. इन तीन दिनों में राजस्थान के बढ़ते क्राइम रेट, घटते रोजगार और महंगाई कम जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती थी. लेकिन नेतागिरी की होड़ और अखबार में छपने की ख्वाहिश के चक्कर में कुछ नहीं हो सकता. ये लोग रुमाल हिलाकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. रुमाल तो ढोल बजाने वाले भी घुमाते हैं, क्या वे बन गए क्या सीएम राजस्थान के? ऐसे मुख्यमंत्री नहीं बन सकते.
ये भी पढ़ें:- 'बाबा है तो मुमकिन है', राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा का नया वीडियो वायरल