Rajasthan: बांसवाड़ा जिले के मुंडासेल ग्राम पंचायत में मां ने अपने बच्चे को गड़ेरियों के पास गिरवी रख दिया था. बच्चा किसी तरह से इंदौर के फतेहाबाद थाने पहुंचा और मदद की गुहार लगाई. बालक ने बताया कि वह वहां नहीं रह सकता और घर जाना चाहता है. स्थानीय चाइल्ड हेल्पलाइन और जिला बाल कल्याण समिति, इंदौर के सहयोग से बालक को लोक बिरादरी ट्रस्ट (अरमान संस्था) में पुनर्वासित किया गया. इसके बाद बांसवाड़ा बाल कल्याण समिति को इस मामले की जानकारी दी गई.
बच्चा थाने पहुंचकर बताई पूरी बात
बांसवाड़ा जिले के मुंडासेल ग्राम पंचायत का रहने वाला बच्चा इंदौर के फतेहाबाद थाने पहुंचकर पुलिस को पूरी बात बताई. पुलिस कहा कि वह अपने घर जाना चाहता है. बच्चे की वापसी के बाद जब बच्चा चाइल्ड लाइन की टीम उसके घर पहुंची तो बच्चे की मां ने कहा कि उसकी सास बहुत बीमार थी. दवाइयों के लिए पैसों की जरूरत थी, इसलिए बच्चे को कुछ पैसों के लिए गड़रियों को सौंप दिया.
पैसा देकर बच्चे को रखा गिरवी
दूसरा मामला प्रतापगढ़ जिले के पीपलखूंट पंचायत समिति का है, जो अब भी इंदौर में ही है. बच्चे को भेंड़ चराने के लिए भेजा जाता था. इसके लिए दो टाइम का खाना देते थे. परिजनों को एकमुश्त राशि देकर गिरवी रख लिया गया.
चौपाल लगाकर बच्चे को पुनर्वास कराया
जिला बाल कल्याण समिति अध्यक्ष दिलीप रोकडिया ने तुरंत चाइल्डलाइन की टीम को बालक के परिवार से संपर्क करके सामाजिक पृष्ठभूमि की जानकारी ली. जांच में सामने आया कि एक और बालक पीपलखूंट पंचायत समिति से संबंधित है, जिसे भी भेड़ चराने के लिए भेजा गया था. लगभग एक महीने बाद इंदौर की बाल कल्याण समिति ने बालक को बांसवाड़ा समिति को सौंपा. इसके बाद ग्राम पंचायत मुंडासेल में एक चौपाल का आयोजन कर बालक का पुनर्वास पारिवारिक माहौल में किया गया.
चेतावनी- दोबारा किया तो होगी कार्रवाई
इस चौपाल में बाल न्यायालय के अध्यक्ष (प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट) की उपस्थिति रही. कार्यक्रम में बाल श्रम की रोकथाम को लेकर चर्चा हुई और स्थानीय सरपंच, वार्ड पंचों, ग्रामीणों ने शपथ ली कि आगे से कोई भी बालक बाल श्रम में नहीं भेजा जाएगा. सहायक निदेशक बाल अधिकारिता विभाग हेमंत खटीक ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि कुछ माता-पिता आज भी अपने बच्चों को इस प्रकार के खतरनाक कार्यों में भेजते हैं. उन्होंने आगे कहा कि यदि भविष्य में ऐसा हुआ तो संबंधित परिजनों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
5वीं तक पढ़ाई किया था बच्चा
राजकीय संप्रेषण गृह के अधीक्षक नानूलाल रोत ने बताया कि बालक पूर्व में कक्षा 5वीं तक पढ़ चुका है और अब उसकी शिक्षा की व्यवस्था फिर से की जा रही है. चाइल्डलाइन समन्वयक कमलेश बुनकर ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं, लेकिन इसके बावजूद बच्चों को जोखिम भरे कार्यों में भेजना दुर्भाग्यपूर्ण है.
गांव स्तर पर बदलाव की शुरुआत होनी चाहिए
कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन से जुड़े धर्मेश भारद्वाज ने इस पुनर्वास को एक मिसाल बताया और कहा कि गांव स्तर से ही बदलाव की शुरुआत होनी चाहिए. इस दौरान सरपंच सविता देवी, पियूष जैन, रत्नेश्वर निनामा, लक्ष्मण मईड़ा, रमेश निनामा, शांति देवी, आरती लस्सी, कैला देवी, वार्ड पंच और अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे. इस पुनर्वास प्रक्रिया को जिले में बाल अधिकार संरक्षण की दिशा में एक सशक्त पहल और प्रेरणा माना जा रहा है.
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