स्कूल जाने के लिए हर रोज जान जोखिम में डालते हैं बच्चे, जीने के लिए भी नदी पर खटोले का सहारा...

पार्वती नदी में जान जोखिम में डालकर नदी पार करना बच्चों और ग्रामीणों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है. हैरानी की बात यह है कि अब तक पुलिस-प्रशासन ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है.

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शिक्षा और जीने के लिए जद्दोजहद

Rajasthan News: धौलपुर के सैंपऊ उपखंड की नुनहेरा ग्राम पंचायत के ढाढ़ियों में आज भी लोगों के लिए पार्वती नदी पार करना, किसी चुनौती से कम नहीं है. तसीमों कस्बे में पढ़ाई के लिए जाने वाले स्कूली बच्चों को कई किलोमीटर लंबा रास्ता तय करने होते हैं. वहीं इस लंबे रास्ते को तय करने से बचने के लिए एक किलोमीटर की नदी पार करनी पड़ती है. लेकिन इस नदी को पार करने के लिए भी साधन नहीं है. इस वजह से नदी को पार करने के लिए आम आदमी और बच्चों को जान जोखिम में डालना पड़ता है.

नदी पार करने के लिए इस्तेमाल करते खटोला

गांव के बच्चे रोजाना नदी के गहरे पानी को पार करने के लिए ट्यूब पर चारपाई बांधकर बने खटोले का सहारा लेते हैं. यही नहीं, बीमार मरीजों को अस्पताल ले जाना हो या घर-गृहस्थी का सामान खरीदने बाजार जाना हो तो ग्रामीणों को हमेशा इसी खटोले पर निर्भर रहना पड़ता है. बरसों से आरी, मढ़ैया, भूरा का पुरा, बघेलों का पुरा, महंत का अड्डा और पंछी का पुरा जैसे गांवों के लोग इसी तरह नदी पार करते आ रहे हैं. ग्रामीण मंगल सिंह, हरिओम, मोहन सिंह, चरण सिंह, शशि कपूर, मुन्नीलाल, राम खिलाड़ी, भूरी सिंह, कमल सिंह और राकेश आदि ने बताया कि कई बार नदी पर पुल या रपट बनाने की मांग पंचायत और प्रशासन से की गई, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है.

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पार्वती नदी पार करते बच्चे

खटोला भी पेड़ से बांध जाते

ग्रामीणों ने बताया कि नदी पार करने के बाद खटोले को पेड़ से लोहे की सांकल और ताले से बांध देते हैं ताकि कोई दूसरा उसका इस्तेमाल न कर सके. कई परिवारों ने अपने-अपने खटोले बना रखे हैं, क्योंकि सालभर बाजार जाने और बीमार होने पर नदी पार करना उनकी मजबूरी है.

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आरी, मढ़ैया और आसपास के गांवों से तसीमों कस्बे की सड़क से दूरी करीब 6 किलोमीटर है, जबकि उपखंड मुख्यालय सैंपऊ 5 किलोमीटर दूर पड़ता है. ऐसे में लोग जोखिम उठाकर भी 1 किलोमीटर की नदी पार कर तसीमों जाना बेहतर समझते हैं.

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स्कूल जाने की रोजाना जद्दोजहद

कभी भी हो सकता है हादसा

पार्वती नदी में जान जोखिम में डालकर नदी पार करना बच्चों और ग्रामीणों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है. हैरानी की बात यह है कि अब तक पुलिस-प्रशासन ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है. हादसा होने के बाद ही शायद जिम्मेदार जागेंगे. ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द नदी पर रपट या पुल का निर्माण कराया जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई और ग्रामीणों की आवाजाही सुरक्षित हो सके.

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