चित्तौड़गढ़ में 'डॉग टेरर' का खौफनाक मंजर! 24 दिन में 200 लोग शिकार; प्रशासन 'कुंभकर्णी नींद' में क्यों?

चित्तौड़गढ़ में आवारा कुत्तों का आतंक जारी है. 24 दिनों में 200 लोग शिकार हुए. प्रशासन की लापरवाही से शहरवासी दहशत में हैं.

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डॉग बाइट्स से चित्तौड़गढ़ लहूलुहान: क्या प्रशासन की नींद टूटेगी? (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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Rajasthan News: राजस्थान के ऐतिहासिक शहर चित्तौड़गढ़ में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक चरम पर है. शहरवासी खौफ के साए में जी रहे हैं. गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य चौराहों तक, ये आवारा कुत्ते लोगों पर जानलेवा हमले कर रहे हैं. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि इन हमलों का शिकार महिलाएं, बुजुर्ग और मासूम बच्चे बन रहे हैं, जो खुद का बचाव ठीक से नहीं कर पाते हैं. जिला अस्पताल के डॉग बाइट्स (Dog Bites) के आंकड़े इसकी भयावहता बयां करते हैं. ये आंकड़े इतने भयानक हैं कि रोंगटे खड़े हो जाएं.

हर दिन 8 से ज्यादा लोग बन रहे शिकार

जिला अस्पताल से मिले डेटा के मुताबिक, सिर्फ नवंबर महीने के 24 दिनों के भीतर ही लगभग 200 लोगों को कुत्तों ने काटा और उन्हें गंभीर, लहूलुहान हालत में इलाज के लिए अस्पताल पहुंचना पड़ा. यह संख्या बताती है कि शहर में हर दिन औसतन 8 से ज्यादा लोग इन हिंसक हमलों का शिकार हो रहे हैं. 21 नवंबर का दिन तो चित्तौड़गढ़ के लिए एक बुरा सपना बन गया. इस दिन शास्त्री नगर चौराहा के पास आवारा कुत्तों ने एक ही दिन में 21 लोगों को काटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया. इन हमलों ने पूरे शहर में दहशत का माहौल खड़ा कर दिया.

'पेट, मुंह, गले पर हमला, 4 से 5 टांके तक लगाने पड़े'

चित्तौड़गढ़ जिला अस्पताल के डॉ. जय प्रकाश कुलदीप ने इस संबंध में NDTV को बताया, 'इमरजेंसी में आने वाले कई मरीजों को गहरी चोटें आई हैं. कुछ लोगों के पेट, मुंह और गले तक पर कुत्तों ने नोच लिया है. एक-दो केस में 4-5 टांके तक लगाने पड़े हैं. ये आंकड़े सिर्फ इमरजेंसी वार्ड में आए लोगों के हैं, असली संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.'

हमला इतना भयानक कि राहगीर जमीन पर गिरे

पीड़ितों के मुताबिक, आवारा कुत्ते राहगीरों को अचानक घेर लेते हैं और हमला करते हैं. कई मामलों में कुत्तों ने लोगों को सड़क पर नीचे गिराकर हमला किया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं. पुराने शहर और कई अन्य इलाकों में तो ये कुत्ते दुपहिया वाहनों और साइकिल सवारों के पीछे दौड़ते हैं, जिससे वाहन चालक अपना संतुलन खोकर गिर जाते हैं और चोटिल होते हैं. शहरवासियों का कहना है कि हर पल जान का खतरा बना रहता है.

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नींद में सोया प्रशासन! टेंडर नहीं, शेल्टर होम नहीं

इतने गंभीर और जानलेवा हमलों के बावजूद, शहर का प्रशासन और नगर परिषद 'कुंभकर्णी नींद' में सो रहे हैं. लोगों में प्रशासन की घोर लापरवाही को लेकर भारी गुस्सा है. नगर परिषद ने अब तक इन आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई टेंडर तक जारी नहीं किया है. नगर परिषद के पास इन कुत्तों के लिए कोई शेल्टर होम भी नहीं है, जिससे समस्या और बढ़ रही है.

चित्तौड़गढ़ शहर में करीब 4500 आवारा कुत्ते

नगर परिषद के एक आंकड़े के मुताबिक, शहर में लगभग साढ़े 4 हजार कुत्ते हैं. साल 2022 में इनकी संख्या वृद्धि रोकने के लिए 3030 कुत्तों की नसबंदी करवाई गई थी. लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं कि यह प्रयास नाकाफी साबित हुआ है. स्थानीय लोगों ने नगर परिषद के अधिकारियों और प्रशासक रामचन्द्र खटीक को बार-बार इसकी जानकारी दी. नगर परिषद की टीम उन इलाकों में पहुंची भी, लेकिन हिंसक हो चुके कुत्तों को पकड़ने में नाकाम रही.

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'नगर परिषद जारी करेगा 30 लाख रुपये का टेंडर'

चित्तौड़गढ़ नगर परिषद के राजस्व अधिकारी कमलेन्द्र प्रताप सिंह ने मामले के सुर्खियों में आने के बाद NDTV को बताया कि जल्द ही करीब 30 लाख रुपये की टेंडर प्रक्रिया शुरू होने वाली है. मगर, सवाल यह है कि इतनी बड़ी दुर्घटना और सैकड़ों लोगों के घायल होने के बाद ही प्रशासन की नींद क्यों टूटती है? जिम्मेदार अधिकारी समय रहते एक्शन क्यों नहीं लेते?

पिछले तीन महीनों के भयावह आंकड़े (सितंबर से नवंबर 2025)

जिला अस्पताल के ये आंकड़े बताते हैं कि समस्या अचानक नहीं बढ़ी है, बल्कि महीनों से गंभीर होती जा रही है:

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माह (2025)इमरजेंसी में डॉग बाइट्स (गंभीर)आउटडोर में डॉग बाइट्स (कम गंभीर)कुल मामले
सितंबर282149
अक्टूबर4555100
नवंबर (24 तारीख तक)12958187

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि सिर्फ 24 दिन में इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मामलों की संख्या 129 तक पहुंच गई, जो प्रशासन की लापरवाही पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है. चित्तौड़गढ़ के लोगों को अब प्रशासन से तत्काल और ठोस कार्रवाई की उम्मीद है, ताकि वे इस 'डॉग टेरर' से मुक्ति पा सकें और शहर में सुरक्षित महसूस कर सकें.

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