Rajasthan Politics: 'किसान केसरी' बनाम 'मेवाड़ के मोदी' के बीच रोचक हुआ मुकाबला, हॉट सीट बनी राजस्थान की ये लोकसभा

Lok Sabha Elections 2024: चित्तौड़गढ़ लोकसभा चुनाव में 25 साल बाद 'किसान केसरी' उदय लाल आंजना को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाते हुए राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी के सामने चुनावी मैदान में उतारा है. आंजना पहले पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह को चुनावी मैदान में शिकस्त दे चुके हैं.

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चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी सीपी जोशी और कांग्रेस प्रत्याशी उदय लाल आंजना.

Rajasthan News: राजस्थान की हॉट शीट में शामिल चित्तौड़गढ़ लोकसभा (Chittorgarh Lok Sabha Constituency) पर 'किसान केसरी' बनाम 'मेवाड़ के मोदी' के बीच कांटे का मुकाबला होने जा रहा है. भाजपा (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी (Chandra Prakash Joshi) दो बार के सांसद के बाद अब तीसरी बार फिर से उम्मीदवार बनकर चुनावी रण में हैं. जोशी को 'मेवाड़ के मोदी' कहा जाता है. वहीं चित्तौड़गढ़ लोकसभा चुनाव में 25 साल बाद 'किसान केसरी' उदय लाल आंजना (Udai Lal Anjana) को कांग्रेस (Congress) ने उम्मीदवार बनाया हैं. ऐसे में प्रदेश की हॉट शीट में चित्तौड़गढ़ की सीट भी शामिल हो गई है. 

पिछली बार की गलती कांग्रेस ने सुधारी

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सीपी जोशी को कुल मतदान का 67.04 फीसदी वोट मिले थे और जीत के अंतर में उन्हें 39.05 फीसदी मत मिले. 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार गोपाल सिंह ईडवा के बाहरी प्रत्याशी बनाम स्थानीय प्रत्याशी समेत मोदी का मैजिक चला, जिसकी बदौलत भाजपा उम्मीदवार 5 लाख 76 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की. उस समय कांग्रेस के उम्मीदवार बाहरी होने से यहां कांग्रेस में फूट नजर आई थी. लेकिन इस बार कांग्रेस ने दिग्गज नेताओं में शुमार उदय लाल आंजना को टिकट देकर कांटे का मुकाबला बना दिया. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के सरकार में केंद्रीय रक्षा मंत्री जसंवत सिंह को कांग्रेस के उदय लाल आंजना ने हरा दिया. 

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BAP बिगाड़ सकती है चुनावी समीकरण

कांग्रेस के उदय लाल आंजना को राजनीति का लंबा अनुभव के साथ चुनावी रणनीति में भी माहिर माना जाता है. लोकसभा चुनावी के रण में जहां भाजपा उम्मीदवार मोदी के चेहरे के साथ-साथ विश्वास, विरासत और विकास के रथ पर सवार होकर जनता के बीच जा रहे हैं. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार आंजना बेरोजगारी, महंगाई, किसानों के मुद्दे, रोजगार समेत पिछले 10 साल में सांसद की संसदीय क्षेत्र में क्या उपलब्धि रही के बारे में सवाल को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के उम्मीदवार मांगी लाल रोत के मैदान में होने से दोनों पार्टियों के समीकरण बिगड़ सकते हैं. संसदीय क्षेत्र में इस बार 21 लाख 70 हजार से अधिक मतदाता हैं, जो चुनाव लड़ रहे 18 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे.

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चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र का इतिहास

पहली बार देश में 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में जनसंघ पार्टी ने तीन सीटें जीती थी, उनमें एक सीट चित्तौड़गढ़ की भी शामिल है. यहां अब तक हुए लोकसभा के 17 में से 7 चुनाव कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. वहीं, बाकी 10 चुनावों में पहले भारतीय जनसंघ और फिर भाजपा के खाते में है. देश में लोकसभा के पहले आम चुनाव में जनसंघ पार्टी से उमाशंकर त्रिवेदी ने चुनाव जीता था. हालांकि साल 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई थी. उस समय माणिक्यलाल वर्मा ने जीत दर्ज की थी. फिर 1967 के चुनाव में कांग्रेस के ही टिकट पर चित्तौड़गढ़ से विजयी हुए.

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1971 में यहां से भारतीय जनसंघ के विश्वनाथ झुनझुनवाला तो 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के श्याम सुंदर सोमानी ने लोकसभा का चुनाव जीता और सांसद बने. इसी तरह 1980 और 84 में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई और यहां से निर्मला कुमारी शेखावत सांसद बनीं. 1989 में भाजपा के महेंद्र सिंह मेवाड़ चुनाव जीते और फिर 1991 और 96 के चुनाव में यह सीट से भाजपा के ही जसवंत सिंह सांसद बने. 1998 के चुनाव में कांग्रेस के उदय लाल अंजाना तो 1999 और 2004 के चुनाव में भाजपा के श्रीचंद कृपलानी चुने गए. इसी प्रकार 2009 में एक बार फिर कांग्रेस की गिरिजा व्यास ने चुनाव जीता. साल 2014 व 2019 के लोकसभा सीट बीजेपी के खाते में रही और चंद्र प्रकाश जोशी सांसद बने.

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