Rajasthan: चूरू के कलाकार ने 2 साल में बनाई पीएम को भेंट की गई चंदन की तलवार, 6 पार्ट में उकेरी महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा

Rajasthan: राइज‍िंग राजस्‍थान ग्‍लोबल सम‍िट के उद्घाटन के लिए पहुंचे पीएम मोदी को राजस्‍थान के सीएम भजनलाल ने तलवार देकर स्‍वागत क‍िया. आइए आपको बताते हैं तलवार को क‍िसने बनाया और इसकी क्‍या खास‍ियत है. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Rajasthan:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (9 दिसंबर) को राइज‍िंग राजस्‍थान सम‍िट का उद्घाटन क‍िया. उनके स्‍वागत में राजस्‍थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने राजस्‍थानी पगड़ी पहनाई और चंदन की लकड़ी की बनी तलवार भेंट की. इस तलवार को चूरू के शिल्पी विनोद जांगिड़ ने बनाया है. तलवार पर नाजुक नक़्काशी की गई है. इस पर महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा को उकेरा गया है. 

पीएम मोदी ने तलवार का पार्ट खोलकर देखा 

PM मोदी ने भी तलवार का पार्ट खोलकर महाराणा प्रताप की गौरव गाथा देखी. चूरू के जांगिड़ परिवार की ओर से चंदन पर कलाकृतियां देश विदेश में  प्रसिद्ध हैं. कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी जांगिड़ परिवार को सम्मानित किया जा चुका है. विनोद जांगिड़ को राष्ट्रपति शिल्प गुरु पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा विनोद जांगिड़ को राष्ट्रपति अवार्ड, नेशनल मेरिट सर्टिफिकेट, नेशनल अवार्ड, स्टेट अवार्ड मिल चुके हैं. 

व‍िनोद जांग‍िड़ ने दो साल में चंदन की लकड़ी से तलवार बनाई.

व‍िनोद को श‍िल्‍प गुरु का अवॉर्ड म‍िल चुका है   

विनोद जांगिड़ के भाई ओमप्रकाश जांगिड़ ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि उत्कृष्ट कला के लिए विनोद को नेशनल अवॉर्ड, स्टेट अवॉर्ड और शिल्प गुरु अवॉर्ड से समानित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि वे इस कला में खुद की तीसरी पीढ़ी के कलाकार है. कई चीजें देशभर के साथ विदेशों में भी मंगवाई जाती है.  

क्या है इस तलवार में खास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की गई चंदन की लकड़ी से बनी इस तलवार की लंबाई 40 इंच है, और चौड़ाई 2.5 से 4.5 इंच तक है.  इसे मैसूर चंदन कहा जाता है. तलवार को तैयार करने में दो साल का समय लगा. इसके फ्रंट में छह खिड़कियां हैं, और एक खिड़की साइड में है. इस पर महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम की कहानी को बारीक नक्काशी के जरिये दिखाया गया है. 

Advertisement
  • पहली खिड़की: तलवार की नोंक पर बनी इस खिडक़ी की चौड़ाई 2.5 इंच है, इसमें महाराणा प्रताप की प्रतिमा बनाई गई है. 
  • दूसरी खिड़की: परिस्थिति को देखकर जब महाराणा प्रताप युद्ध छोड़कर जाते हैं, तो रास्ते में एक नाला आता है, इस खिडक़ी में उस नाले को पार करते हुए महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक को दिखाया है. 
  • तीसरी खिड़की: जंगल में महाराणा प्रताप की मदद के लिए आए भामाशाह को दिखाया है. 
  • चौथी खिड़की: इसमें सुअर के शिकार को लेकर महाराणा प्रताप और शक्ति सिंह के बीच लड़ाई के दृश्य को साकार किया है. 
  • पांचवीं खिड़की: जंगल में जब महाराणा प्रताप घास की रोटी बनाते है.  उस रोटी को जंगली बिल्ली छिनकर ले जाने वाले दृश्य को दिखाया है. 
  • छठी खिड़की: इसमें चित्तौड़गढ़ में बने विजय स्तंभ को दिखाया है. 
  • सातवीं खिड़की: साइड में बनी इस खिड़की में हल्दीघाटी के युद्ध के दृश्य को दिखाया है.  जहां हाथी पर बैठे मानसिंह पर महाराणा प्रताप भाले से वार करते हैं.  इसकी चौड़ाई करीब 6 इंच है. 
Topics mentioned in this article