द‍िल्‍ली की राह पर चूरू, हवा हुई जहरीली; AQI 350 के पार; माउंट आबू में जमने लगी ओस की बूंद

चूरू में बढ़ते प्रदूषण और स्मॉग के कारण आमजन को आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, खांसी और एलर्जी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

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चूरू का AQI 350 के पार पहुंच गया. (फाइल फोटो)

दिल्ली के बाद अब राजस्थान में भी वायु प्रदूषण गंभीर रूप लेता जा रहा है. प्रदेश के छोटे जिलों और कस्बों में भी हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. शेखावाटी अंचल का चूरू जिला भी अब इस प्रदूषण संकट की चपेट में आ गया है, जहाँ लोगों के लिए खुली हवा में सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है.

अति गंभीर श्रेणी में पहुंचा AQI

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार चूरू जिले का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 तक दर्ज किया गया, जो अति गंभीर श्रेणी में आता है. यह स्तर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक माना जाता है. द‍िल्‍ली का AQI 500 पहुंचा गया है.

दमा के मरीजों की बढ़ी परेशानी 

विशेषज्ञों के अनुसार, तापमान में गिरावट के साथ-साथ प्रदूषण की परत और फॉग की स्थिति और गंभीर होती जा रही है. इसका सबसे अधिक असर श्वसन रोगियों, दमा और एलर्जी से पीड़ित लोगों, बच्चों और बुजुर्गों पर देखा जा रहा है. अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है.

राजस्थान के 20 शहर प्रदूषित 

राज्य स्तर पर स्थिति भी चिंताजनक है. सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान के लगभग 20 शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब से बहुत खराब श्रेणी में पहुंच चुकी है, जिससे लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं.

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इस विषय पर ज्योग्राफी प्रोफेसर डॉ. एमए खान और बॉटनी प्रोफेसर डॉ. सिद्धि गुप्ता से एनडीटीवी ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि शहरीकरण के चलते तेजी से बढ़ते कंक्रीट के जंगल, हरित क्षेत्र में कमी, वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि, निर्माण कार्यों से उठती धूल और मौसमी परिस्थितियां वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं.

प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नियंत्रण 

विशेषज्ञों ने समाधान के तौर पर हरियाली बढ़ाने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नियंत्रण, खुले में कचरा जलाने पर रोक और जन-जागरूकता को आवश्यक बताया. चूरू जैसे अपेक्षाकृत छोटे और शांत जिले में इस स्तर का प्रदूषण गंभीर चेतावनी है. आवश्यकता है कि प्रशासन और आमजन मिलकर ठोस कदम उठाएं, ताकि हवा को और अधिक ज़हरीला होने से रोका जा सके.

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मांउट आबू में ओस की बूंदे जमने लगीं.

माउंट आबू में बढ़ी ठिठुरन

सिरोही जिले में स्थित राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में कड़ाके की सर्दी का असर लगातार बना हुआ है. पिछले दो दिनों से तापमान में तेज गिरावट दर्ज की जा रही है, जिसके चलते शहर में ठिठुरन बढ़ गई है. सुबह और देर शाम के समय तेज शीतलहर ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों की परेशानी बढ़ा दी है.

मौसम विभाग के अनुसार, न्यूनतम तापमान 3–4 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है, वहीं अधिकतम तापमान भी सामान्य से कम रिकॉर्ड किया गया. 

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