आ अब लौट चलें...भरतपुर में बंद हो रहे हैं ईंट के भट्टे, मजदूर करने लगे पलायन

भरतपुर जिले में 1 मार्च से भट्टे की चिमनी से धुआं निलकता है और ये भट्टे चालू होते है. ऐसा होने से भरतपुर जिले को ईंट भट्टे का कारोबार चैपट हो गया है. 

Advertisement
Read Time: 4 mins

Bharatpur News: भरतपुर जिला दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में आता है. एनसीआर क्षेत्र में संचालित ईंट भट्टों की चिमनी से इस साल मात्र 122 दिन में ही धुआं निकलना बन्द हो गया. करीब 60 प्रतिशत से अधिक ईंट भट्टों से मजदूरों को घर लौटना पड़ा. बाकी ईंट भट्टों से भी धीरे-धीरे मजदूरों का पलायन जारी है. ये श्रमिक अपने परिवार सहित देश के कई राज्यों से दशहरा से दीपावली के आसपास आते है और गुरू पूर्णिमा से रक्षाबन्धन तक अपने घरों को लौट जाते हैं.

जब ये अपने घर से आते है और 7 से 8 महिने के बाद लौटते है, तो ईंट भट्टा मालिक, मुनीम और अन्य कर्मचारी श्रमिकों के द्वारा किए गए काम का हिसाब कर मिठाईयां और कपड़े देकर निजी वाहनों में सवार कर रवाना करते हैं. अधिकांश श्रमिकों के मुख से एक ही वाक्य सुनने को मिलता है कि आ अब लौट चले. ये भले ही एक फिल्म का नाम है लेकिन भट्टों से लौट रहे श्रमिकों पर यह सटीक साबित होता है.

Advertisement

कहां-कहां संचालित है भट्टे

भरतपुर जिले में कस्वा हलैना, नदबई, गांव बेरी, रामनगर, नसवारां, हन्तरा, सरसैना, ईरनियां, अरोदा, बुढवारी, भदीरा, नामखेडा, करीली, ऊंच, कबई, रौनिजा अन्य गांवों पर 125 से अधिक ईंट भट्टे संचालित होते हैं.

Advertisement

ढाई दशक में 180 भट्टे हुए बन्द

ईंट भट्टा संचालक चंचल जिन्दल और सतीश जिन्दल ने बताया कि जिले के वैर, नदबई, भुसावर और नगर उपखण्ड क्षेत्र में ही ये भट्टे संचालित है. जहां ये भट्टे लगे हुए है, वहां से दिल्ली की दूरी करीब 250 किमी है और ताज जसकेकरीब 250 किमी है और ताज महल की दूरी करीब 75 किमी है. दिल्ली से दौसा, अलीगढ़, मथुरा की दूरी करीब 120 किमी से 200 किमी होगी. इन जिले में एनसीआर के नियम लागू नहीं होते है.

Advertisement

जहां ईंट भट्टें की चिमनी से धुआं नवम्बर व दिसम्बर से निकलाना शुरू हो जाता है. जबकि भरतपुर जिले में 1 मार्च से भट्टे की चिमनी से धुआं निलकता है और ये भट्टे चालू होते है. ऐसा होने से भरतपुर जिले को ईंट भट्टे का कारोबार चैपट हो गया है. एनसीआर नियम से जिले में साल 2000 से 2024 तक करीब 180 ईंट भट्टे बन्द हो गए. वर्ष 2022 में 55, वर्ष 2023 में 43 और वर्ष 2024 में 21 भट्टे बन्द हुए. साल 2025 में भी कई भट्टे बन्द हो सकते हैं. 

एनसीआर से निकले तो सस्ती मिले ईंट

ईंट भट्टा मालिक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष सन्तोष चौधरी व पंकज बिजवारी ने बताया कि एनसीआर क्षेत्र में भरतपुर जिले का आना और कठोर नियम के कारण जिले का उद्योग धंधा चैपट हो गया. जिले के अनेक उद्योग बन्द हो गए. अब ईंट उद्योग धंधा भी बन्द होने के कगार पर है. यदि भरतपुर जिले के उपखण्ड वैर, भुसावर, नदबई, नगर आदि एनसीआर क्षेत्र के निकले और राजस्थान प्रान्त में एक साथ ईंट भट्टों की जुलाई शुरू तभी ईंट सस्ती होगी और ईंट भट्टा कारोबार प्रगति करेगा. ऐसा होने से लोगों को रोजगार भी मिलेंगे.

कहां से आते श्रमिक

ईंट भट्टा संचालक चंचल अग्रवाल हलैना वाले और बिजेन्द्र चौधरी हन्तरा ने बताया कि ईंट भट्टों पर कार्य करने को स्थानीय और राजस्थान के कई जिले सहित उत्तरप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, दिल्ली, गुजराज, पंजाब आदि प्रान्तों से श्रमिक आते आते है. जो ईंट थपाई, ईंट जलाई, ईंट निकासी आदि के कार्य करते है. श्रमिकों को लाते वक्त उन्हे एडवांस में पैसा दिया जाता है और जब ये लौटते है. उस वक्त कार्य के हिसाब से पैसा की लेनदेन करते है. साथ आगामी साल को भी एडवांस पैसा दिया जाता है. जिससे ये समय पर आ जाए और कार्य शुरू कर दे.

अब गांव की याद सताए

उत्तरप्रदेश प्रान्त के एटा जिले के गांव मदनपुरा निवासी रामपाल जाटव ने बताया कि 7-8 महिना हो गए गांव से आए, अब गांव की याद सताती है. गांव पहुंचते ही खरीफ की उगाई करेंगे और गांव के लोग और परिवार के अन्य सदस्य एवं रिश्तेदारों से मिलन होगा. हरियाणा प्रान्त के पलवल जिले के गांव दीघौठ निवासी चन्द्रकला ने बताया कि दशहरा पर्व के बाद अब गांव जा रहे है. वहां घर को सभांला जाएगा और बच्चों की शादी करेंगे.

ये भी पढ़ें- पत्नी और बेटे के सामने ही दो टुकड़ों में बटा गंगाराम का शरीर, चाहकर भी कुछ नहीं कर सके लोग

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Topics mentioned in this article