बूंदी की इस सीट से सीएल प्रेमी को मिला टिकट, पिछले चुनाव में दिया था कांग्रेस को बड़ा झटका

केशवरायपाटन एससी विधानसभा सीट से कांग्रेस के जिला अध्यक्ष चुन्नीलाल बेरवा (सीएल प्रेमी) को टिकट दिया गया है. सीएल प्रेमी 2008 से 2013 तक विधायक रहे हैं. 2018 में टिकट न मिलनें से सीएल प्रेमी ने कांग्रेस पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और करीब 35 हजार से अधिक वोटों हासिल कर कांग्रेस का तगड़ा झटका दिया था.

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सीएल प्रेमी( फाइल फोटो)

Rajasthan Assembly Election 2023: कांग्रेस ने गुरूवार को अपनी तीसरी सूची जारी कर दी है. इस सूची में बूंदी जिले के केशवरायपाटन आरक्षित विधानसभा सीट से चुन्नीलाल बेरवा उर्फ सीएल प्रेमी को टिकट दिया गया है. प्रेमी खेल मंत्री अशोक चांदना के समर्थक माने जाते हैं. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सीएल प्रेमी को टिकट दिया गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से आलाकमान ने अचानक उनका काटकर जिला प्रमुख रहे राकेश बोयत को दिया गया था.

गौरतलब है पिछले चुनाव में अचानक टिकट काटे जाने से नाराज होकर सीएल प्नेमी ने नामांकन की अंतिम तारीख पर कांग्रेस पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया और करीब 35 हजार से अधिक वोटों के साथ उन्होंने लंबी लीड ली थी, इससे कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा और राकेश महज 7000 वोट से हार गए और बीजेपी की प्रत्याशी चंद्रकांता मेघवाल की जीत हुई.

सीएल प्रेमी 2008 से 2013 तक विधायक रहे हैं और बूंदी कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी रहे. पिछले दिनों कांग्रेस से बगावत करने के बाद खेल मंत्री अशोक चांदना ने उनकी कांग्रेस में वापसी करवाई थी और लंबे समय तक अशोक चांदना के साथ जुड़कर राजनीति करते आ रहे और हाल में ही उन्हें जिलाध्यक्ष भी बनाया गया. 

पायलट समर्थक राकेश बोयत का कटा टिकट

पूर्व विधायक प्रत्याशी रहे राकेश गोयत पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बेहद समर्थक माने जाते हैं. पिछली बार उन्हें सचिन पायलट ने ही केशवरायपाटन सीट से टिकट दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. राकेश बोयत बूंदी में लंबे समय से राजनीति करते हुए आए हैं, छात्र राजनीति से उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की. बोयत वर्ष 2008 में पहली बार कांग्रेस से बागी होकर जिला परिषद का चुनाव लड़ा और वह जीत गए जिसके बाद वह जिला प्रमुख बन गए.

हालांकि बाद में राकेश गोयत ने वापस से कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली. राकेश बोयत का कार्यकाल जिला प्रमुख के दौरान सुर्खियों में रहा. उन्होंने डाबी क्षेत्र में शहीद नानक भील का विशाल कार्यक्रम मनाना शुरू किया जो आज तक जारी है. वर्ष 2018 में उन्हें केशवरायपाटन एससी सीट से टिकट दिया गया, उन्होंने प्रचार-प्रसार भी किया, लेकिन सीएल प्रेमी के बागी होने के चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 

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सीएल प्रेमी का राजनैतिक सफर

सीएल प्रेमी का पूरा नाम चुन्नीलाल बैरवा है, वह बूंदी में एसबीबीजे बैंक में कार्यरत थे. केशवरायपाटन, नैनवा, हिंडोली सहित विभिन्न कस्बों में उन्होंने अपनी सेवा दी. वर्ष 2000 में उन्होंने राजनीति में पहला कदम रखा और कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की. सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में वह केशवरायपाटन क्षेत्र में राजनीति करते रहे.

वर्ष 2018 में सीएल प्रेमी को फिर से टिकट दिया गया, लेकिन हादसे की एक अफवाह ने उनका टिकट काट दिया था और जिला प्रमुख रहे राकेश बोयत को टिकट दिया गया.

2008 में उन्हें पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का मौका मिला और 49,047 मत के साथ बीजेपी के गोपाल पचेरवाल (45,631 मत) को 3,416 वोटों से शिकस्त देते हुए जीत हासिल की.वर्ष 2013 में बीजेपी के बाबूलाल वर्मा को 63,293 मत प्राप्त हुए. कांग्रेस के सीएल प्रेमी को 50,562 मत मिले. बीजेपी ने यह चुनाव 12,731 मतों के मार्जिन से यह सीट अपने नाम की.

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केशवरायपाटन सीट पर एक नजर 

केशवरायपाटन विधानसभा सीट में 2 लाख 70 हजार 995 मतदाता हैं. जिसमे बैरवा, मेघवाल, मीणा और गुर्जर शामिल है. इस सीट पर 65 हजार एससी, 60 हजार एसटी, 25 हजार गुर्जर, 20 हजार माली मतदाताओं के अलावा बड़ी संख्या में सामान्य और मुस्लिम मतदाता हैं. केशवरायपाटन सीट एससी के लिए रिजर्व है.

वर्ष 1951 – केसरीसिंह – आरआरपी, 1957 – भवरलाल शर्मा – कांग्रेस, 1962 – हरिप्रसाद शर्मा – जनता पार्टी, 1967 – नंदलाल बैरवा – कांग्रेस, 1972 – नंदलाल बैरवा – कांग्रेस, 1977 गोपाल पचेरवाल – भाजपा, 1980 – गोपाल पचेरवाल – भाजपा, 1985 – मांगीलाल मेघवाल – भाजपा, 1990 – मांगीलाल मेघवाल – भाजपा, 1993 – मांगीलाल मेघवाल – भाजपा, 1998 – घासीलाल मेघवाल – कांग्रेस, 2003 – बाबूलाल वर्मा – भाजपा, 2008 – सीएल प्रेमी – कांग्रेस, 2013 – बाबूलाल वर्मा – भाजपा, 2018 – चन्द्रकांता मेघवाल – भाजपा

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