Rajasthan: राजस्थान में कफ सिरप की विवादित दवा हुई बैन, इसके बदले डॉक्टर कौनसी दवा लिख रहे हैं ? 

इसके अलावा झुंझनूं में भी खांसी सिरप से बच्चों की मौत के घटनाक्रम के बाद अब ग्रामीण इलाकों में शिशु रोग विशेषज्ञों के दवा लिखने का तरीका बदल गया है. विशेषकर तीन साल से छोटे बच्चों को खांसी की दवाएं लिखने से बचा जा रहा है.

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राजस्थान में डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड कफ सीरप से पीने से राजस्थान में चार बच्चों की मौत हो गई है. परिजनों ने दावा किया कि डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप से कथित तौर पर चार बच्चों की मौत हुई. उसके बाद इस दवा के वितरण पर रोक लगा दी गई. हालांकि, सरकार ने कहा कि सिरप की जांच की जा चुकी है, उसमें कोई खराबी नहीं है. फिर भी सरकार ने अस्पतालों को एडवाइज़री जारी की है कि अस्पताल यह कफ सिरप मरीज़ों को न लिखें. 

एनडीटीवी राजस्थान की टीम जब भरतपुर के गांव डहरा स्थित पीएचसी पहुंची तो देखा कि वहां इस सिरप को सील बंद कर रख दिया गया है. पीएचसी पर सिरप नहीं देने के चलते मरीजों को एंटीबायोटिक दवा लिखी जा रही है.

डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप को मरीजों को देना बन्द

प्रभारी डॉक्टर सचिन ने बताया कि सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप को मरीजों को देना बन्द कर दिया है. खांसी जुखाम के मरीजों को एंटीबायोटिक दवा दे रहे हैं. फार्मासिस्ट गौतम ने बताया कि चिकित्सक जो दवा लिख रहे हैं उनके द्वारा वही दवाई दी जा रही है.

झुंझनूं में नहीं लिखी जा रही खांसी की दवा 

इसके अलावा झुंझनूं में भी खांसी सिरप से बच्चों की मौत के घटनाक्रम के बाद अब ग्रामीण इलाकों में शिशु रोग विशेषज्ञों के दवा लिखने का तरीका बदल गया है. विशेषकर तीन साल से छोटे बच्चों को खांसी की दवाएं लिखने से बचा जा रहा है. गुढ़ा सामुदायिक अस्पताल के चिकित्सक डॉ. विकास ने बताया कि बदलते मौसम और बरसात के कारण छोटे बच्चों में इन दिनों खांसी, जुकाम और बुखार के लक्षण अधिक देखने को मिल रहे हैं.

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एहतियात ही इलाज है 

ऐसे में उन्हें अधिकतर सामान्य दवाई और घरेलू देखभाल के सुझाव दिए जा रहे हैं. डॉ. विकास ने कहा कि 2 से 3 साल तक के बच्चों में इन दिनों खांसी और बुखार के लक्षण ज्यादा हैं. इस उम्र के बच्चों को अब अधिकतर लिक्विड दवाएं और वायरल संक्रमण से दूर रखने की सलाह दी जा रही है. बच्चों के माता-पिता को सामान्य एहतियाती उपाय भी बताये जा रहे हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन दवाओं को लेकर पूर्व में आशंका जताई गई थी, उस बैच की दवा अस्पताल में नही आई हैं.