बूंदी में 59 नई पंचायत बनने से बढ़ा बवाल, ग्रामीणों ने कहा- परिसीमन रद्द नहीं हुआ तो मतदान बहिष्कार होगा

ग्राम पंचायत गेण्डोली खुर्द के अंतर्गत आता था, जो गांव से मात्र 1 किमी की दूरी पर है. लेकिन नवीन परिसीमन में गांव को नई ग्राम पंचायत जगन्नाथपुरा में जोड़ दिया गया, जो लगभग 12 किमी दूर स्थित है.

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Rajasthan News: राजस्थान सरकार द्वारा हाल ही में किए गए पंचायतों के व्यापक पुनर्गठन ने पूरे प्रदेश में नई हलचल पैदा कर दी है. पंचायत राज अधिनियम 1994 के तहत जारी अधिसूचना के बाद अब कई जिलों में नई पंचायत समितियां अस्तित्व में आई हैं, जबकि कुछ पुरानी पंचायतों को पुनः सीमांकित कर अन्य क्षेत्रों में मिला दिया गया है. सरकार का दावा है कि इस परिवर्तन से विकास कार्यों में तेजी आएगी, लेकिन कई क्षेत्रों में इसका जोरदार विरोध हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि बिना जन-सहमति लिए गांवों का परिसीमन बदलने से उनका जीवन और अधिक कठिन हो जाएगा.

सरकार द्वारा किए गए इस पुनर्गठन के बाद समर्थन और विरोध दोनों ही तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. जहां नई पंचायत मिलने वाले गांव जश्न मना रहे हैं, वहीं कई ऐसे गांव भी हैं जिन्हें उनकी पुरानी पंचायत से हटाकर नई जगह जोड़ा गया है, और वहां के लोग सड़क पर उतरकर विरोध कर रहे हैं. यही स्थिति बूंदी जिले में देखने को मिली, जहां कई गांवों के ग्रामीणों ने खुलकर नाराजगी जताई और सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की.

बूंदी जिले में 59 नई पंचायतें बनीं, कुल संख्या बढ़ी 241

राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार बूंदी जिले में कुल 59 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई हैं. इससे जिले में पंचायतों की कुल संख्या बढ़कर 241 हो गई है. यह पंचायत पुनर्गठन जिले के ग्रामीण प्रशासन में अब तक के सबसे बड़े फेरबदल के रूप में देखा जा रहा है. जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि वर्मा ने बताया कि पंचायतों के नवसृजन और पुनर्गठन की पूरी प्रक्रिया विधिक रूप से पूरी की गई है. प्रारूप जारी होने के बाद एक महीने तक आमजन से आपत्तियां आमंत्रित की गई थीं, जिनके निस्तारण के बाद ही अंतिम प्रस्ताव को राज्य सरकार से अनुमोदन मिला है. नई पंचायतें आगामी पंचायत चुनावों के बाद विधिवत कार्य करना शुरू करेंगी, तब तक पुरानी व्यवस्था ही प्रभावी रहेगी. 

सबसे अधिक नई पंचायतें हिण्डोली (14) और केशवरायपाटन (13) पंचायत समिति में बनाई गई हैं. इसके अलावा बूंदी (12), नैनवां (10) और तालेड़ा (10) में भी नई पंचायतों का गठन हुआ है. सरकार का तर्क है कि इससे गांवों में विकास की गति तेज होगी और आम लोगों को पंचायत तक जाने में अब कम दूरी तय करनी पड़ेगी.

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जमीनी तस्वीर अलग कई गांवों में विरोध तेज

नई पंचायतों के गठन के साथ जहां खुशी का माहौल दिखा, वहीं दूसरी तरफ कई क्षेत्रों में तीखा विरोध भी उभरकर सामने आया है. बूंदी जिले के छपावदा, बाजड़, गेदोली की झोपड़ियां, नयागांव उर्फ बोहरा कजोड़ जी की झोंपड़ियां, फौलाई, जगन्नाथपुरा आदि गांवों में ग्रामीणों ने पुनर्गठन के फैसले पर खुलकर विरोध जताया है. सबसे बड़ा विवाद तब सामने आया जब कई गांवों को उनकी पुरानी पंचायत से हटाकर 10–12 किमी दूर स्थित पंचायत में जोड़ दिया गया. नयागांव उर्फ बोहरा कजोड़ जी की झोंपड़ियां इसके सबसे बड़े उदाहरणों में से एक है.

1 किमी दूर वाली पंचायत छोड़ 12 किमी दूर भेज दिया गया

ग्राम नयागांव उबोहरा कजोड़ की झोंपड़ियों के ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से उनका गांव ग्राम पंचायत गेण्डोली खुर्द के अंतर्गत आता था, जो गांव से मात्र 1 किमी की दूरी पर है. लेकिन नवीन परिसीमन में गांव को नई ग्राम पंचायत जगन्नाथपुरा में जोड़ दिया गया, जो लगभग 12 किमी दूर स्थित है. ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल दूरी का मुद्दा नहीं है. गांव से जगन्नाथपुरा तक पहुंचने के लिए दो पंचायतों-गेण्डोली खुर्द और फौलाई-को पार करना पड़ता है, और रास्ता भी पक्का नहीं है. न तो बस सुविधा है और न नियमित निजी वाहन. ऐसे में किसी भी पंचायत संबंधी कार्य, प्रमाण पत्र, आवेदन, योजनाओं का लाभ या आवश्यक दस्तावेज लेने-देने में बेहद असुविधा होगी. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने उनके गांव को नई पंचायत में शामिल करने से पहले उनकी सहमति तक नहीं ली. उन्होंने प्रशासन को लिखित आपत्ति दर्ज कराते हुए मांग की है कि उन्हें उनके पुरानी पंचायत गेण्डोली खुर्द में ही रखा जाए. ग्रामीणों ने साफ कहा है कि यह निर्णय ना केवल तर्कहीन है, बल्कि उनके लिए आर्थिक और शारीरिक परेशानी का कारण भी बनेगा.

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छपावदा में विरोध के बाद मुख्य मार्ग पर लगा जाम

पंचायत पुनर्गठन का विरोध सबसे उग्र रूप से छपावदा गांव में देखने को मिला. यहां के ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत बाजड़ से हटाकर जमीतपुरा में जोड़े जाने के फैसले के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. सुबह होते ही ग्रामीण तालेड़ा–केशवरायपाटन मुख्य मार्ग पर जमा होने लगे. देखते ही देखते भीड़ इतनी बढ़ गई कि लोगों ने सड़क पर बैठकर आवागमन पूरी तरह रोक दिया. इसके बाद भारी जाम लग गया. स्कूलों की बसें, एंबुलेंस, निजी वाहन और मालवाहक गाड़ियां घंटों तक जाम में फंसी रहीं. आसपास के गांवों तक इसका प्रभाव दिखाई दिया. विरोध प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने नारेबाजी करते हुए मांग की कि प्रशासन तुरंत इस फैसले को वापस ले.

बिना सर्वे के बदल दी हमारी पंचायत

विरोध कर रहे ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना है कि पुनर्गठन बिना पारदर्शिता के किया गया, ग्रामीणों की राय नहीं ली गई, भौगोलिक दूरी, मार्ग, परिवहन और सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा गया, फैसले से विकास कार्य बाधित होंगे, सरकार ने गांवों की भावनाओं को नजरअंदाज किया. गांव के बुजुर्गों और महिलाओं ने कहा कि पंचायत बदलने से योजनाओं का लाभ सही समय पर नहीं मिलेगा और प्रशासनिक काम और अधिक जटिल हो जाएंगे.

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प्रशासन ने ग्रामीणों को दिया आश्वासन

विरोध की सूचना मिलते ही नायब तहसीलदार सहित पुलिस व पंचायत विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने का प्रयास किया. अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि ग्रामीणों की आपत्तियां जिला प्रशासन को भेजी जाएंगी और यदि जरूरी हुआ तो पुनः जांच की जाएगी. लेकिन ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया तो वे आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन करेंगे.

पंचायत परिसीमन बना चुनावी मुद्दा?

राजस्थान सरकार के इस कदम का प्रभाव आने वाले दिनों में और ज्यादा दिखाई देगा. जहां नई पंचायतों के गठन ने विकास की उम्मीद जगाई है, वहीं गलत दूरी निर्धारण और जन-सहमति के अभाव में कई गांवों में असंतोष फैल गया है. बूंदी और आसपास के क्षेत्रों में लगातार हो रहे विरोध इस बात की ओर संकेत करते हैं कि यह मुद्दा आने वाले पंचायत और विधानसभा चुनावों तक गर्म रह सकता है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी मांगो का समाधान नहीं हुआ तो वे सरकार का बहिष्कार करेंगे. सरकार को अब यह तय करना होगा कि वह अपने निर्णय पर अडिग रहती है या विरोध कर रहे गांवों को राहत देने के लिए परिसीमन में संशोधन करती है. फिलहाल पुनर्गठन का यह फैसला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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