पंचायतों के परिसीमन से राजस्थान में बवाल, बूंदी में लोगों ने जाम की सड़क; ग्रामीणों का भारी रोष

पंचायत बदलने से क्षेत्रीय योजनाओं, बजट और सुविधाओं में असमानता उत्पन्न होगी. विरोध प्रदर्शन के कारण मुख्य मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं. कई यात्री घंटों तक फंसे रहे. स्कूलों की बसें, निजी वाहन, एंबुलेंस और मालवाहक गाड़ियां भी जाम में अटक गईं.

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Rajasthan Delimitation of Panchayats: राजस्थान में पिछली दिनों सरकार ने पंचायतों का परिसीमन किया है. इसको लेकर कई जगह लोगों में रोष है.  रविवार को बूंदी जिले में पंचायत परिसीमन को लेकर मचे विवाद के बीच छपावदा गांव के ग्रामीणों ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. ग्राम पंचायत बाजड़ से हटाकर जमीतपुरा में जोड़ने के फैसले से नाराज़ ग्रामीण सुबह से ही तालेड़ा–केशोरायपाटन मुख्य मार्ग पर जमा होने लगे. कुछ ही देर में लोगों ने सड़क पर बैठकर आवागमन पूरी तरह रोक दिया और पंचायत पुनर्गठन के आदेश के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी.

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार द्वारा बिना उनकी राय लिए अचानक पंचायत का पुनर्गठन कर दिया गया. छपावदा गांव वर्षों से ग्राम पंचायत बाजड़ का हिस्सा रहा है, ऐसे में अब उसे जमीतपुरा में जोड़ने से विकास कार्यों में बाधा आएगी. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि नए परिसीमन से कई गांवों की दूरी बढ़ गई है. लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए भी दूर पंचायत पहुंचना पड़ेगा, जिससे समय और संसाधन दोनों की बर्बादी होगी.

कई यात्री घंटों तक फंसे रहे

उन्होंने यह भी कहा कि पंचायत बदलने से क्षेत्रीय योजनाओं, बजट और सुविधाओं में असमानता उत्पन्न होगी. विरोध प्रदर्शन के कारण मुख्य मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं. कई यात्री घंटों तक फंसे रहे. स्कूलों की बसें, निजी वाहन, एंबुलेंस और मालवाहक गाड़ियां भी जाम में अटक गईं. कुछ चालकों ने वैकल्पिक मार्ग तलाशने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों की भीड़ के कारण वह भी संभव नहीं हो पाया. सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया. नायब तहसीलदार, पुलिस टीम और पंचायत विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे.

पंचायत परिसीमन उनकी सहमति के बिना स्वीकार्य नहीं 

अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से वार्ता शुरू की और उन्हें समझाने का प्रयास करते रहे. प्रशासन ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि उनकी आपत्तियों को जिला प्रशासन तक पहुंचाया जाएगा और उचित समाधान निकाला जाएगा. हालांकि, ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे और कहा कि जब तक पुरानी पंचायत व्यवस्था बहाल नहीं होती, वे आंदोलन जारी रखेंगे. मौके पर मौजूद बुजुर्गों, महिलाओं और युवाओं ने एकजुट होकर साफ कहा कि पंचायत परिसीमन उनकी इच्छा और सहमति के बिना स्वीकार्य नहीं है.

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