नई सरकार से नई बसों की मांग, कई रूटों पर संचालन बंद, यात्रियों की जान पर मंडरा रहा खतरा

यात्रियों ने बताया कि यात्री निगम की 8 बसों में जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं. मापदण्डों के अनुसार 10 लाख से अधिक किलोमीटर घुम चुकी है. फिर भी निगम इन बसों को सड़कों पर दौड़ा रहा है. 

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बसों के बदहाली की तस्वीर

Rajasthan Roadways Bus Shortage: राजस्थान में बसों की दुर्दशा की किसी से छिपी नहीं है. बूंदी में रोडवेज बस स्टैंड पर हाल बेहाल है. रोडवेज बसों की हालत भी खस्ताहाल से कम नहीं है. 4 सालों से बूंदी रोडवेज बड़े को एक भी नई रोडवेज बसें नहीं मिली है. चार सालों के भीतर करीब आधा दर्जन बसें ऐसी है जो खराब हो चुकी है और ब्रेकडाउन होकर बूंदी आकार में खड़ी हुई है. लगातार बसों की घटती संख्या से यात्रीभार बसों में दिखाई दे रहा है. ये बसें चलाकर निगम यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहा है. साथ ही बसें कम होने से कुछ रूट बंद हो गए है. ऐसे में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

नई बसें देने की मांग

यात्रियों ने कहा कि बसे बहुत कम है, यात्रियों की संख्या अधिक होने के चलते बसों में जगह नहीं मिलती. एक रूट पर एक बस संचालित होने के चलते ऊपर नीचे बैठकर सफर करना पड़ता है. कई बार रोडवेज बसों के टायर और अन्य तकनीकी खराबी आ जाती है. जिसके चलते यात्रियों को हमेशा डर सताता रहता है. यात्रियों ने सरकार से नई रोडवेज बसें बूंदी को देनी की मांग की है.

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मुख्यमंत्री की महिला यात्रियों को किराए में 50 फीसदी छूट देने पर रोडवेज को एक बारगी जीवनदान मिला था. लेकिन बसें घटने से फिर हालात पहले से बदतर हो गए हैं. अब निजी बसों में अधिक किराया देकर महिलाओं को सफर करना पड़ रहा है. 

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बसों की संख्या बढ़ाने की जरूरत

मुख्य प्रबंधक सुनीता जैन ने बताया की बूंदी आगार काफी समय से नई बसों की मांग कर रहा है. लेकिन अब तक एक भी नई बस नहीं मिल पाई है. जबकि हाड़ौती के कोटा, झालावाड़ समेत अन्य जिलों के रोडवेज को नई बसों की सौगात मिल चुकी है. लेकिन बूंदी आगार को अब तक नई बसें नहीं मिली है. बूंदी में बसों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे है. नई बसें आने की संभावना है. जैसे निगम को बसें मिलती है तो बंद हुए रूटों पर उसका संचालन किया जाएगा.

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कोरोना के बाद से अब तक निगम 59 शेड्यूल चला रहा है. जबकि इससे पहले 2017-18 में 75 शेड्यूल चलते थे. लेकिन कोरोना के बाद से बसों की संख्या कम होने से शेड्यूल भी कम हो गए और बसों की संख्या घटती चली गई.

61 की जगह चल रहीं 41 बसें

रोडवेज सूत्रों के अनुसार वर्तमान में निगम के पास 2020 मॉडल की 14 बसें संचालित है. जबकि शेष बसें 2011,12 व 13 मॉडल की है. बूंदी बेड़े में निगम को 61 बसों की आवश्यकता है. लेकिन फिलहाल 47 शेड्यूल पर 41 बसों का ही संचालन किया जा रहा है. ऐसे में 20 बसों की जरूरत है. रोडवेज कर्मचारियों का कहना है कि सरकार की नीतियों के चलते रोडवेज की हालत खस्ता है. बसों को बंद किया जा रहा है, लेकिन नई बसें नहीं मिल रहीं. बसें कम होने से रूट बंद हो गए है. निगम को रिकॉर्ड के अनुसार प्रतिदिन 20 हजार 900 किलोमीटर चलना हैं. लेकिन बसों की कमी के चलते 15 हजार 500 किमी का संचालन किया जा रहा है.

12 रूट हुए बंद, 1-1 बसों से हो रहा है संचालन

चीफ मैनेजर सुनीता जैन ने बताया की बूंदी रोडवेज में बसों की संख्या घटने से 12 रूट बंद हो गए है. इसमें बूंदी-कोटा-जयपुर की 2 बसें, बूंदी-नैनवां वाया कोटा की एक बस, बूंदी-देवली-कोटा की एक बस, बूंदी-केशवरायपाटन की एक बस, बूंदी-चौतरा का खेड़ा, बूंदी-कोटा अजमेर जयपुर, बूंदी-सवाईमाधोपुर और बूंदी-कोटा हरिद्धार रूट की बसों का संचालन बंद है.

जान जोखिम में डाल कर रहें सफर

एनडीटीवी राजस्थान की टीम से इन बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों ने बताया कि यात्री निगम की 8 बसों में जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे है. मापदण्डों के अनुसार 10 लाख से अधिक किलोमीटर घुम चुकी है. फिर भी निगम इन बसों को सडकों पर दौड़ा रहा है. 

मोटर व्हीकल एक्ट के तहत बीएस 2, बीएस 3 मॉडल को बंद किया जा चुका है. इनकी जगह बीएस 4,5, 6 वाहनों को सड़कों पर चलने के निर्देश मिले थे. लेकिन बूंदी रोडवेज बस स्टैंड पर बीएस 2 और 3 जैसे वाहनों को चलाया जा रहा है. जो ना की बंद हो चुके हैं बल्कि कंडम भी हो चुके हैं.

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