Rajasthan: थार के रेगिस्तान में इन दिनों खेजड़ी पर सांगरी की अच्छी पैदावार हो रही है. ग्रामीण क्षेत्र में किसान खेजड़ी से सांगरी निकलने के काम मे लगे हुए हैं. वहीं महिलाएं उसको साफ करने का काम करती नजर आ रही हैं. मारवाड़ का मेवा कही जाने वाले सांगरी, केर और कुमटिया गर्मी के मौसम इन दिनों आसानी से मिल रहे हैं. मरुप्रदेश कहे जाने वाले क्षेत्र में इसकी बहुतायत है. गांव के लोग सुबह से ही खेतों में खेजड़ी से इस सांगरी को निकलने के लिए कड़ी मशक्कत करते नजर आते हैं. ग्रामीण इलाकों में इस सांगरी को उबाल कर सूखा रहे हैं, जो साल भर इनके काम आती है.
बादाम से भी ज़्यादा क़ीमत वाली सब्ज़ी
थार की यही सांगरी जहां उनके जीवन का अभिन्न अंग है. वहीं रोजगार का भी जरिया है. अभी हरी सांगरी जहां 150-200 किलो मिल रही है, सूखने के बाद यही सांगरी और केर कीमत 1000 से 1500 रुपये किलोग्राम हो जाती है,जो बादाम की कीमत से भी ज्यादा है. ग्रामीण इलाकों में लोगों के खाने का यह एक प्रमुख स्रोत है.
सूखने के बाद बढ़ जाती है क़ीमत
वहीं शहरी क्षेत्र में भी इसकी अब डिमांड बढ़ने लगी है. केर सांगरी प्राकृतिक गुणों से भरपूर हैं. यह देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी मारवाड़ी व्यंजनों का पर्याय बन चुकी हैं. गर्मियों का सीजन शुरू होते ही बाजार में इसकी बंपर आवक शुरू हो जाती है.
केर-सांगरी की है ख़ास जगह
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सांगरी,केर और कुमटिया तो उनके जीवन का हिस्सा रहे हैं. अकाल के दिनों में यही सब्जी उनके काम आती है. जहां हानिकारक उर्वरकों से उगाई सब्जियां स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालती हैं, वहीं प्राकृतिक रूप से तैयार सांगरी उनके पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है.
मारवाड़ की देसी सब्जियों के बारे आयुर्वेद में भी बड़ा महत्व बताया गया है.
केर और सांगरी दोनों ही एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर हैं
मरुप्रदेश में पाई जानी वाली सांगरी जहां पेट और पाचन के लिए गुणकारी तो केर मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण औषधि मानी जाती है. सांगरी और केर सुखाने के बाद बहुत ही गुणकारी हो जाती है. सांगरी की फलियों में प्राकृतिक पोषक तत्व पाए जाते हैं. इनमें भरपूर पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, जिंक, प्रोटीन और फाइबर होता है. खासियत ये है कि केर की खेती में किसी प्रकार का रसायन और दवा का उपयोग नहीं होता. इस प्राकृतिक सब्जी के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है.
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