Kota Students Suicide: कोटा में इस साल सबसे ज्यादा बच्चों ने किया सुसाइड, फिर भी लंबित है साइकोलॉजिस्ट की नियुक्ति

डॉ दरिया के मुताबिक राज्य में नैदानिक मनोवैज्ञानिकों की काफी मांग है. उन्होंने इस ओर भी इशारा किया कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य का उपचार कराने के लिए आने वाले रोगियों की संख्या को देखते हुए यहां आठ सीट के साथ नैदानिक मनोविज्ञान में एम फिल पाठ्यक्रम शुरू किया जा सकता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

Kota News: कोटा में कोचिंग ले रहे छात्रों के बीच आत्महत्या के मामले बढ़ने के बावजूद, यहां अपने घरों से दूर, विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लगभग 2.50 लाख कोचिंग छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिकों की बहुत कमी है. इस साल कोटा के कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत 26 विद्यार्थियों ने खुदकुशी कर ली. यह किसी एक साल में यहां आत्महत्या करने वाले छात्रों की सर्वाधिक संख्या है.

केंद्र में प्रशिक्षित कर्मियों की कमी 

राजस्थान सरकार की बजट घोषणा के अनुरूप कोटा स्थित न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में गत सितंबर में एक मनोवैज्ञानिक परामर्श केंद्र स्थापित किया गया था. एनएमसीएच में कम से कम पांच नैदानिक मनोवैज्ञानिकों की जरूरत है, लेकिन केवल एक ही तैनात हैं. केंद्र में प्रशिक्षित कर्मियों की भी कमी है. राज्य के मेडिकल कॉलेजों में नैदानिक मनोविज्ञान में एम फिल की डिग्री नहीं दिये जाने के कारण यह समस्या और बढ़ गई है. राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सेवाएं दे रहे विशेषज्ञों के पास दूसरे राज्यों की डिग्री हैं.

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साइकोलॉजिस्ट की नियुक्ति लंबित

न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर (एमडी) डॉ विनोद कुमार दरिया ने कहा कि उन्होंने राज्य के सरकारी संस्थानों में नैदानिक मनोविज्ञान में एम फिल पाठ्यक्रम के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया था और पिछले साल जनवरी में इसे राज्य सरकार को भेजा था. प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई और कुशल नैदानिक मनोवैज्ञानिकों के साथ मनोवैज्ञानिक परामर्श केंद्र की स्थापना की घोषणा की गई. डॉ दरिया ने कहा कि मनोवैज्ञानिक परामर्श केंद्र (बिना किसी अतिरिक्त बजट के) शुरू किया गया, हालांकि एम फिल पाठ्यक्रम की शुरुआत और नैदानिक मनोवैज्ञानिकों की नियुक्ति अब भी लंबित है. उन्होंने कहा कि कोटा में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले बेहतर संस्थानों के कारण देशभर से माता-पिता अपने बच्चों को यहां पढ़ने के लिए भेजते हैं. इनके अलावा सीकर और जयपुर जैसे स्थानों पर पढ़ाई करने के लिए भी बाहर से बड़ी संख्या में बच्चे आते हैं.

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राजस्थान में साइकोलॉजिस्ट की काफी मांग

डॉ दरिया के मुताबिक राज्य में नैदानिक मनोवैज्ञानिकों की काफी मांग है. उन्होंने इस ओर भी इशारा किया कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य का उपचार कराने के लिए आने वाले रोगियों की संख्या को देखते हुए यहां आठ सीट के साथ नैदानिक मनोविज्ञान में एम फिल पाठ्यक्रम शुरू किया जा सकता है. सरकारी मेडिकल कॉलेज, कोटा में मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ बी एस शेखावत ने बातचीत में मनोविज्ञान के क्षेत्र में विशेषज्ञ परामर्शदाताओं की कमी को स्वीकार किया और बताया कि उन्होंने नैदानिक मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं की नियुक्ति के लिए पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं है. चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टी रविकांत को वॉट्सऐप संदेश भेजकर राज्य में एम फिल पाठ्यक्रम शुरू करने के प्रस्ताव की स्थिति के बारे में पूछा गया, लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया. निजी क्षेत्र में तीन से चार नैदानिक मनोवैज्ञानिक हैं. इनमें दो कोचिंग संस्थानों में कार्यरत विशेषज्ञ भी शामिल हैं.

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