Rajasthan: खेती भी तबाह और चारा भी बर्बाद, भारी बारिश के चलते किसानों के लिए खड़ी हो गई परेशानी

Monsoon: इस बार मानसून समय से पूर्व सक्रिय हो गया था. जून महीने से बारिश की शुरुआत हो गई थी. जुलाई के महीने में बारिश होने के बाद किसानों ने बुबाई की थी, लेकिन बुबाई के दो दिन बाद ही झमाझम बारिश का दौर शुरू हो गया.

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Dholpur heavy rain farmers troubled: धौलपुर में लगातार हो रही बारिश से नदी तालाब झरना जलाशय और दरिया लबालब भर चुके हैं. शहरों से लेकर गांव तक बाढ़ जैसे हालात बने हैं. बारिश से लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है. आसमानी आफत ने सबसे ज्यादा परेशानी में अन्नदाता किसान को खड़ा कर दिया है. खरीफ की सभी फसले बर्बाद हो रही है. खेत खलियान सभी पानी से लबालब भर चुके हैं. किसानों का कहना है कि बरसात के इस सीजन में खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है. लगातार हो रही बारिश की वजह से फसल के खेत तालाब और दरिया के रूप में तब्दील हो गए हैं. बाजरा, दलहन, तिलहन, ग्वार, ज्वार और मक्का यह सभी फसलें पानी में डूबी हुई हैं. किसानों के पास आजीविका का दूसरा जरिया मवेशी पालन है, अब उस पर भी संकट देखा जा रहा है. चारा बर्बाद होने की वजह से मवेशी को भी बेचने तक की नौबत आ सकती है.

गांव-मोह्लल्लों में घुसा पानी

शहर की कॉलोनी और गांव के मोहल्लों में पानी घुस रहा है. गली-मोहल्ले तालाब बन गए हैं. दरअसल, इस बार मानसून समय से पूर्व सक्रिय हो गया था. जून महीने से बारिश की शुरुआत हो गई थी. जुलाई के महीने में बारिश होने के बाद किसानों ने बुबाई की थी, लेकिन बुबाई के दो दिन बाद ही झमाझम बारिश का दौर शुरू हो गया. ऐसे में खेतों में अंकुरित हो रही फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई. किसान सरकार और प्रशासन से फसल खराबे की गिरदावरी कराकर उचित मुहावरे की मांग कर रहे हैं.

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चंबल और पार्वती ने मचाई भारी तबाही

चंबल और पार्वती नदी का जल स्तर उतर चुका है. लेकिन बाढ़ की वजह से नदी के आसपास बसे सैकड़ों गांव में भारी नुकसान हुआ है. फसल बर्बाद होने के साथ लोगों के मकानों में भी क्षति पहुंची है. स्थानीय प्रशासन के इंतजाम अभी तक विफल दिखाई दे रहे हैं. चंबल और पार्वती नदी का पानी कम होने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली है. लेकिन अन्नदाता किसान को बर्बादी के मुहाने पर खड़ा कर दिया है. इधर, मौसम विभाग अगस्त के महीने में भारी बारिश की चेतावनी दे रहा है. आगामी दिनों में बारिश हुई तो निश्चित तौर पर हालात ज्यादा बिगड़ सकते हैं.

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कृषि विभाग के आंकड़ों पर भी सवाल?

जिले में फसल बुवाई का 1.53 लाख हेक्टेयर एरिया है. कृषि विभाग के पर्यवेक्षक कौशलेंद्र शर्मा ने बताया बरसात के सीजन में करीब 94000 हेक्टेयर बाजार फसल की बुवाई की जाती है. इसके अलावा ज्वार, ज्वार, दलहन, तिलहन की करीब 30000 हेक्टेयर बुबाई की जाती है. शेष बची जमीन में सब्जी एवं अन्य फसलें की जाती हैं. कृषि विभाग के मुताबिक 20000 हेक्टेयर बाजरे की फसल बर्बाद हुई है. लेकिन जिस हिसाब से फसल बर्बाद हुई है, उस अनुपात में कृषि विभाग का आंकड़ा गले नहीं उतर रहा है.

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