डीडवाना जिले के नावां शहर के पास सांभर लेक में एक बार फिर से एवियन बॉटलिज्म प्रवासी पक्षियों को मौत के मुंह में धकेल रहा है. एवियन बॉटलिज्म की चपेट में आकर पिछले कई दिनों से प्रवासी पक्षियों की मौतें हो रही है. हालांकि राहत की बात है कि प्रशासन की सतर्कता और पक्षियों का रेस्क्यू अभियान लगातार जारी रहने से शुरुआती स्टेज पर ही बॉटलिज्म के संक्रमण को रोक दिया गया, जिससे पक्षियों की मौत में कमी आई है. लेकिन संक्रमित पक्षियों की इम्युनिटी कमजोर होने लगी है.
डीडवाना जिले के नावां कस्बे से सटी विश्व प्रसिद्ध सांभर झील नमक उद्योग के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन इस झील में हजारों प्रवासी परिंदे भी अपना पेट भरने के लिए आते हैं, क्योंकि सांभर झील का वातावरण इस पक्षियों के लिए मुफीद होता है और उन्हें यहां प्रचुर मात्रा में भोजन मिलता है.
लेकिन, बीते कुछ सालों से यही झील बेजुबान परिंदों की कब्रगाह बनती जा रही है. सांभर झील में आने वाले प्रवासी पक्षी बोटूलिज्म नामक बीमारी की चपेट में आकर मौत के आगोश में समा रहे हैं. पिछले 10 दिनों की बात करें तो अब तक 66 पक्षियों की मौत हो चुकी है. हालांकि जैसे ही पक्षियों की मौत के मामले सामने आए , तो जिला प्रशासन तुरंत अलर्ट हो गया.
रेस्क्यू टीमें मौके पर सक्रिय हैं
जिला कलक्टर डॉ महेंद्र खड़गावत ने वन विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, नगर पालिका और SDRF की अलग-अलग टीमें गठित कर रेस्क्यू अभियान चलाने के निर्देश दिए. इसके तहत रेस्क्यू टीमें मौके पर सक्रिय हैं और झील के आसपास रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है. अब तक 100 से अधिक घायल पक्षियों को बचाकर मिठड़ी के विशेष रेस्क्यू सेंटर भी स्थापित किया गया है, जहां पक्षियों का विशेषज्ञों की देखरेख में उपचार जारी है.
संक्रमित पक्षियों की इम्यूनिटी कमजोर हो गई है
सांभर झील के प्रभावित क्षेत्र में प्रशासन नगर पालिका, वन विभाग और पशुपालन विभाग की 8 संयुक्त टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है. इसी बीच पक्षियों की जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. विशेषज्ञों के मुताबिक एवियन बॉटलिज्म से संक्रमित पक्षियों की इम्यूनिटी कमजोर हो गई है. जिसके कारण पक्षियों के स्वास्थ्य में सुधार में समय लग रहा है. पशुपालन विभाग के चिकित्सकों द्वारा इनकी देखरेख की जा रही है. लेकिन केवल वही पक्षी सर्वाइव कर पा रहे हैं, जो केवल शुरुआती स्टेज में ही हैं.
इम्यूनिटी एवियन बॉटलिज्म
अत्यधिक संक्रमित पक्षियों की इम्यूनिटी एवियन बॉटलिज्म से प्रभावित हुई है, जिसका कारण ज्यादा घायल पक्षियों को बचा पाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इसके बाद वो ना तो उड़ रही हैं ना ही चल पा रहे हैं. यहां तक कि वे खाना भी खुद से नहीं खा पाते. ऐसे पक्षियों का इम्यूनिटी सिस्टम डाउन होने की वजह से रात को इन्हें गर्म कंबलों में रखा जा रहा है, ताकि वे सर्वाइव कर सकें.
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