Rajasthan: 'आतंकवाद का धर्म नहीं होता', पहलगाम आतंकी हमले पर बोले राष्ट्र जैन संत पुलक सागर महाराज

राष्ट्र संत ने कहा, 'जिस देश के युवा अपने धर्म, अपनी संस्कृति, अपनी परंपराओं का अनुसरण नहीं करते, वह देश फिर गुलाम हो सकता है. इसलिए अपने धर्म और देश के अनुयायी बनें.'

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बांसवाड़ा में दिगंबर जैन मुनि पुलक सागर महाराज ने एनडीटीवी से की बातचीत.
NDTV Reporter

Rajasthan News: जैन दिगांबर मुनि गुरु पुलक सागर (Pulak Sagar) बुधवार को राजस्थान के बांसवाड़ा (Banswara) जिले के दौरे पर आए. इस दौरान उन्होंने NDTV राजस्थान से खास बातचीत की और बाल विवाह, आतंकवाद जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे.

'बाल विवाह एक अभिशाप'

पुलक सागर महाराज ने कहा, 'बाल विवाह, स्त्री शोषण और समाज के लिए अभिशाप है. परिपक्वता आए बिना विवाह बंधन में बच्चों को बांधना गलत है. इससे समाज का पतन होना निश्चित है. सरकार और समाज के जिम्मेदारों को भी इसकी रोकथाम के पूर्ण प्रयास करने चाहिए. समाज में जागरूकता लाने से ही यह संभव हो सकेगा. संतों के साथ प्रत्येक वो व्यक्ति जिसकी लोग सुनते हों, उन्हें अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझकर यह बीड़ा उठाना चाहिए और समाज से बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त करना चाहिए.'

'आतंकवाद का धर्म नहीं होता'

राष्ट्र जैन संत ने आगे कहा, 'धर्म पूछकर बेकसूर लोगों को मारना सरासर गलत है. भारत के लोगों को इस स्थिति में एकजुट होकर रहने की जरूरत है. धर्म के प्रति अपनी आस्था और स्वयं में अध्यात्म को जीवंत रखना आज के परिप्रेक्ष्य में बेहद जरूरी है. सभी  को अपने अपने धर्म के प्रति अडिग व मजबूत होकर खड़ा होना होगा. मुगलों के आने के बाद से ही हमारी धार्मिक आस्था पर वार किया गया. अंग्रेजों या अन्य किसी ने भारत को आर्थिक रूप से कमजोर किया और लुटा. लेकिन मुगलों ने हमारे धर्म पर वार किया गया था. आतंकवाद का खात्मा जरूर होना चाहिए. मुझे खुशी है कि वर्तमान स्थिति में भारत पुरी दुनिया में बड़ी मजबूती से खड़ा है. भारत के प्रत्येक नागरिक को भी अध्यात्म और धर्म की राह पर चलना चाहिए. तभी हमारा देश और देश की संस्कृति जीवित रह सकती है.'

'अपने धर्म और देश के अनुयायी बनें'

जैन महाराज ने आगे कहा, 'धर्म भारत से ही पूरी दुनिया को मिला. हर किसी ने अध्यात्म भारत से ही सिखा. युवाओं को संदेश दिया. भारत की जो सनातन परंपरा है, उसको नहीं भुलना चाहिए. अपनी माटी, अपने देश से जिसने सारे जगत को जीयो और जीने दो का संदेश दिया, उस प्रत्येक व्यक्ति को भारत की आस्था और धर्म व्यवस्था का स्वीकारना चाहिए. जो सत्य है अनाकाल से चला आ रहा है. हमारे उदासीनता ने ही हमें यह समय दिखाया है. जब कुछ वर्षों पहले आए धर्म आज विश्व धर्म बनकर खड़े हो गए, जिस कारण हमें हमारी संस्कृति परम्परा और धर्म से परहेज हो गया और हम पाश्चात्य संस्कृति की तरफ मुड़ने लगे. आज पूरा देश उसका दुष्परिणाम झेल रहा है. जिस देश के युवा अपने धर्म, अपनी संस्कृति, अपनी परंपराओं का अनुसरण नहीं करते, वह देश फिर गुलाम हो सकता है. इसलिए अपने धर्म और देश के अनुयायी बनें.

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(बांसवाड़ा से निखिलेश सोनी की रिपोर्ट)

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