दीपावली पर दीयों से क्यों जगमगाती है झुंझुनू की ये दरगाह? 'हैप्पी दिवाली' कहकर आतिशबाजी करते हैं मुस्लिम

Jhunjhunu Dargah Diwali: छोटी दिवाली की शाम से ही कमरूद्दीन शाह दरगाह का पूरा परिसर रोशनी से नहा उठा. रंग-बिरंगी एलईडी लाइटों से दरगाह को भव्य तरीके से सजाया गया. पढ़ें रविंद्र चौधरी की यह रिपोर्ट

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कमरूद्दीन शाह दरगाह में दिवाली का अद्भुत नज़ारा, रोशनी से नहाया परिसर
NDTV Reporter

Rajasthan News: देशभर में जब दीपावली का महापर्व मनाया जा रहा है, तब राजस्थान का झुंझुनू शहर सदियों पुरानी एक ऐसी अनूठी परंपरा को जीवित कर रहा है, जो पूरे देश को ‘कौमी एकता' यानी राष्ट्रीय सद्भाव का मजबूत संदेश देती है. झुंझुनू स्थित कमरूद्दीन शाह की ऐतिहासिक दरगाह में दीपावली पर रोशनी का भव्य उत्सव मनाया गया, जहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दीपक जलाकर और आतिशबाजी कर इस त्यौहार की खुशियां मनाईं.

250 साल से अधिक पुरानी है यह परंपरा

कमरूद्दीन शाह दरगाह के गद्दीनसीन एजाज नबी ने बताया कि यह परंपरा 250 साल से भी अधिक पुरानी है. यह दरगाह प्रदेश की शायद एकमात्र ऐसी दरगाह है, जहां हर साल दीपावली का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. परंपरा के अनुसार, दरगाह में छोटी दीपावली को मुस्लिम समुदाय के लोग रोशनी करते हैं और दीये जलाते हैं, जबकि मुख्य दीपावली के दिन वे हिंदू भाइयों के साथ मिलकर इस त्यौहार को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं.

एलईडी की रोशनी और दीयों की जगमगाहट

कल शाम से ही कमरूद्दीन शाह दरगाह का पूरा परिसर रोशनी से नहा उठा. रंग-बिरंगी एलईडी लाइटों से दरगाह को भव्य तरीके से सजाया गया. दरगाह की दहलीज पर मुस्लिम समुदाय के लोगों, महिलाओं और बच्चों ने एक साथ मोमबत्तियां और मिट्टी के दीपक जलाए, जिससे पूरा दरगाह परिसर दीपावली के रंग में रोशन हो गया. इस मौके पर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिला. उन्होंने एक-दूसरे को 'हैप्पी दिवाली' कहकर बधाई दी और देर तक आतिशबाजी का लुत्फ उठाया.

'आसपास के संत यहां जरूर आते हैं'

गद्दीनसीन एजाज नबी बताते हैं कि जब भी दरगाह पर उर्स (बड़ा आयोजन) होता है, तो पास के चंचलनाथ टीले के महंत ओमनाथ महाराज और अन्य संत यहां जरूर आते हैं. यहां कव्वाली के साथ-साथ भजनों का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है. ठीक इसी तरह, जब चंचलनाथ टीले पर कोई बड़ा कार्यक्रम होता है, तो गद्दीनसीन एजाज नबी और अन्य मुस्लिम सदस्य वहाँ पहुंचते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि चंचलनाथ टीले पर रोजा इफ्तार दावत का भी आयोजन होता है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग शिरकत करते हैं.

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दो संतों की दोस्ती की विरासत

इस अनूठी कौमी एकता की नींव करीब 250 साल पहले रखी गई थी. उस समय कमरूद्दीन शाह और चंचलनाथ नाम के दो दोस्त थे, जिनकी दोस्ती की मिसाल आज भी दी जाती है. इन दोनों की दोस्ती और आपसी सम्मान की वजह से ही आज दोनों धार्मिक स्थानों से समय-समय पर राष्ट्रीय सद्भाव का संदेश दिया जाता है, जो आज के समय में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. इस मौके पर दरगाह पर आए कई मुस्लिम परिवारों ने बताया कि वे हर साल इस त्योहार को मनाने के लिए खास तौर पर झुंझुनू आते हैं. यह दीपावली सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि उनके लिए सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है.

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