Diwali Special: यहां हटड़ी के बिना अधूरी है दिवाली, दीपोत्सव पर हर घर में होती है इसकी पूजा

बुजुर्ग बताते हैं कि मांगणीयार परिवार के लोग हटड़ियों का निर्माण कर दीपावली, विवाहोत्सव, पुत्र होने या शुभ कार्यों में इसे भेंट करते थे. इसके बदले संबंधित लोग उन्हें गुड़ नारियल, ओढनी व श्रद्धानुसार भेंट देते थे.

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जैसलमेर में उत्सव, पर्व और त्योहारों हमेशा से खास अंदाज और परम्पराओं के साथ ही मनाया जाता आया है. यहां परंपराएं व रीति-रिवाज का निर्वहन आज भी किया जाता है, लेकिन इनके साथ दो और महत्वपूर्ण बातें जुड़ी हुई हैं. वह है विश्वास और जज्बात, आज दीपोत्सव है तो घर-घर हटड़ी पूजन की तैयारियां जारी है. जैसलमेर में आज भी यह परम्परा कायम है. हटड़ी के बिना दीपोत्सव अधूरा माना जाता है. हालांकि बदलते समय के साथ-साथ अब धातु से बनी हटड़ी का भी प्रचलन बढ़ा है.

बांस की लकड़ियों से बनी हटड़ी को माना जाता है पवित्र

बुजुर्ग बताते हैं कि मांगणीयार परिवार के लोग हटड़ियों का निर्माण कर दीपावली, विवाहोत्सव, पुत्र होने या शुभ कार्यों में इसे भेंट करते थे. इसके बदले संबंधित लोग उन्हें गुड़ नारियल, ओढनी व श्रद्धानुसार भेंट देते थे. कोरोना का दंश झेल चुके जैसाण के लोगों को उम्मीद है कि इस बार विधिवत हटड़ी पूजन से उनका परिवार संकट से दूर रहेगा और सभी मंगलकार्य बिना किसी अड़चन के पूरे हो सकेंगे. 

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हकीकत यह है कि बाजार में कृत्रिम व धातु से बनी हटड़ियां आसानी से उपलब्ध हो जाने के बावजूद मांगलिक दृष्टिकोण, राशि ग्रह से प्रभावित न होने और रिद्धि-सिद्धि की कामना के लिए मिट्टी व बांस की लकडियों से निर्मित हटड़ी को भी शुभ माना जाता है. ऐसे में आधुनिकता की चकाचौंध में भी परंपरागत रूप से बनाई जाने वाली हटड़ी का महत्व बरकरार है.

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मंगल कार्य में नहीं आती बाधा

बुजुर्ग बताते हैं कि हटड़ी घर में होने से मंगल कार्य बिना किसी अड़चन के संपन्न हो जाते है. दीपावली पर्व पर मिरासी मांगणियार परिवारों की ओर से वर्षों से मिट्टी की बनी हटड़ी राज परिवार को भेंट करने की परंपरा है, जो आज तक निभाई जा रही है. मांगणियार परिवार के लोग विशेष अवसरों पर हटड़ी जरूर बनाते हैं. दीपावली से पूर्व मांगणियार जाति के लोग जेवरात व नकदी में उपयोग में ली जाने वाली दिशासनिक हटड़ी व घर में शांति व सद्भाव बनाए रखने के लिए बंगला हटड़ी सबसे ज्यादा बनाई जाती है. 

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तरह -तरह की हटड़ियां

दीपावली से पूर्व मांगिणयार जाति के लोग जेवरात व नकदी में उपयोग में ली जाने वाली दिशासनिक हटड़ी व घर में शांति व सद्भाव बनाए रखने के लिए बंगला हटड़ी बनाने में जुट जाते हैं. नौकरी, व्यवसाय व गृहस्थी में उलझे रहने के बावजूद मांगणियार परिवार के लोग विशेष अवसरों पर हटड़ी जरुर बनाते हैं. पहले जहां घर-घर जाकर हटड़ी बेची जाती थी, वैसा अब दिखाई नहीं देता. बाजार में कृत्रिम व धातु से बनी हटड़ियां उपलब्ध होने के बावजूद मांगलिक दृष्टिकोण, राशि ग्रह से प्रभावित न होने और रिद्धि-सिद्धि की कामना के लिए मिट्टी व बांस की लकडिय़ों से निर्मित हटड़ी को भी शुभ माना जाता है.

ऐसे बनाई जाती है हटड़ी

सबसे पहले लाल मिट्टी व घोड़े की लीद को मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है, वहीं बांस की लकड़ियों को मिलाकर एक ढांचा तैयार किया जाता है. इस ढांचे को मिश्रण से पुन: भर दिया जाता है. जब यह सूख जाता है तो उस पर रंगीन चित्रकारी या अन्य सजावट की जाती है. दीपावली पर विशेष पूजन करने के लिए हटड़ी के बीच में दीपक के लिए विशिष्ट स्थान भी बनाया जाता है. हटड़ी को बनाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. करीब दस दिन पहले ही हटड़ी बनाने में काम में आने वाली सभी जरुरी सामग्री की व्यवस्था कर ली जाती है.

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