सामान्य आदमी से 10 साल कम जीवन जीते हैं डॉक्टर, IMA की रिपोर्ट में खुलासा, क्या बोले वरिष्ठ डॉक्टर? 

जोधपुर के डॉक्टर जगमोहन माथुर ने रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों को कहा कि जिस प्रकार चिकित्सा व्यवस्था में लगातार बदलाव हो रहे हैं और अनुभवी डॉक्टरों की संख्या में कमी आई है, वह युवा चिकित्सकों पर मानसिक तनाव बढ़ा रही है.

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प्रतीकात्मक फोटो

IMA Report 2025: धरती पर भगवान का रूप कहे जाने वाले डॉक्टरों की औसत आयु आम लोगों की तुलना में लगभग 10 साल कम है. यह चौंकाने वाला तथ्य इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की एक रिपोर्ट में सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि देश में डॉक्टरों की औसत आयु केवल 55 से 59 वर्ष के बीच है, जबकि आम भारतीयों की औसत आयु 69 से 72 साल के बीच मानी जाती है.

इसका मतलब है कि डॉक्टरों की औसत उम्र सामान्य लोगों से करीब एक दशक कम है. यह बेहद चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि जो डॉक्टर लोगों को बीमारी से राहत देने का काम करते हैं, वे खुद मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक तनाव के शिकार हो रहे हैं. यह तनाव अब उनकी जीवन प्रत्याशा को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है.

क्या कहते हैं वरिष्ठ डॉक्टर? 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की इस रिपोर्ट के हवाले से NDTV राजस्थान ने एसोसिएशन ऑफ मेडिकल प्रैक्टिशनर्स ऑफ जोधपुर के सचिव और संरक्षक डॉक्टर नागेंद्र शर्मा और वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर जगमोहन माथुर से खास बातचीत की. डॉक्टर नागेंद्र शर्मा ने चिकित्सकों की औसत आयु में आई गिरावट पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसके पीछे के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि लगातार डॉक्टरों पर कार्यभार बढ़ता जा रहा है, खासकर कम उम्र के चिकित्सकों को अधिक जिम्मेदारियां दी जा रही हैं. इसके साथ ही प्रशासनिक दबाव भी चिकित्सकों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी स्तर पर चिकित्सकों को मानसिक और शारीरिक रूप से राहत देने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.

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''युवा चिकित्सकों पर मानसिक तनाव बढ़ रहा है''

वहीं, डॉक्टर जगमोहन माथुर ने भी रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों को कहा कि जिस प्रकार चिकित्सा व्यवस्था में लगातार बदलाव हो रहे हैं और अनुभवी डॉक्टरों की संख्या में कमी आई है, वह युवा चिकित्सकों पर मानसिक तनाव बढ़ा रही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि चिकित्सकों को केवल आर्थिक लाभ कमाने की बजाय ज़्यादा से ज़्यादा मरीजों का उपचार करने और सेवा भावना के साथ कार्य करने की दिशा में सोचना चाहिए.

डॉक्टर माथुर ने कहा कि चिकित्सकीय पेशा आज सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि एक गहन जिम्मेदारी और सेवा का कार्य है, जिसमें दिन-रात की मेहनत, भावनात्मक लगाव और कभी-कभी व्यक्तिगत जीवन की कुर्बानी भी शामिल होती है. इस पेशे में आने वाले युवा डॉक्टरों को न केवल चिकित्सकीय ज्ञान में निपुण होना चाहिए, बल्कि मानसिक रूप से भी दृढ़ रहना होगा.

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