Rajasthan: रंग लाई कोशिशें, देश की नदियों में बढ़ी डॉल्फिन की आबादी, राजस्थान में इतनी है संख्या

Rajasthan News: भारत में डॉल्फिन ज़्यादातर गंगा नदी में पाए जाती हैं. पिछले कुछ समय से इनकी घटती संख्या देश के लिए चिंता का विषय बन गई थी, जिसे लेकर अब खुशकबरी आई है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Dolphins: डॉल्फिन को अकेले रहना बिल्कुल पसंद नहीं है. जलीय स्तनधारी होने के कारण ये ज़्यादातर समूह में या अपने परिवार के बीच रहना पसंद करती हैं. भारत में ये ज़्यादातर गंगा नदी में पाए जाती हैं. पिछले कुछ समय से इनकी घटती संख्या देश के लिए चिंता का विषय बन गई थी, जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को डॉल्फिन और दूसरे जलीय जीवों के संरक्षण के लिए 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' की घोषणा की थी. अब इस बारे में अच्छी खबर आई है कि डॉल्फिन की आबादी में इज़ाफा हुआ है.

राजस्थान में इतना बढ़ा डॉल्फिन का कुनबा

सोमवार को एक सरकारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्रोजेक्ट डॉल्फिन के तहत एक व्यापक सर्वेक्षण किया गया था. जिसमें आठ राज्यों - उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और पंजाब में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के साथ-साथ इसकी सहायक नदियों में पहली बार व्यापक सर्वेक्षण किया गया था. पहले आंकलन में इन नदियों और उनकी सहायक नदियों में 6,324 डॉल्फ़िन की मौजूदगी का पता चला है. इस सर्वेक्षण के अनुसार यूपी में 2,397 , बिहार में 2,220, राजस्थान 95, पश्चिम बंगाल में 815, असम में 635, झारखंड में 162, मध्य प्रदेश में 95 जबकि पंजाब में 3 डॉल्फिन हैं . 

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कहां- कहां पाई जाती है डॉल्फिन

गंगा नदी की डॉल्फिन अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए जानी जाती है और यह भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना नदियों और उसकी सहायक नदियों में पाई जाती है.  कुछ सिंधु नदी ( जो भारत में बहती है)  में पाई जाती हैं.  सर्वेक्षण वैज्ञानिकों के मुताबिक, डॉल्फिन उन क्षेत्रों में पाई जाती हैं जहां पानी की गहराई पर्याप्त होती है और इंसान का आना जाना कम होता है.

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अगस्त, 2020 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट डॉल्फिन

गंगा नदी में कभी हज़ारों डॉल्फ़िन हुआ करती थीं. पिछली सदी में कई कारणों से उनकी आबादी घटकर 2,000 से भी कम रह गई है. इसमें उन्हें सीधे तौर पर मारना, बांधों और बैराजों द्वारा उनके आवास को बर्बाद करना और अंधाधुंध मछली पकड़ना शामिल है. उनकी घटती संख्या ने सरकार को उनके संरक्षण के लिए 15 अगस्त, 2021 को प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन शुरू करने के लिए प्रेरित किया. एक वन्यजीव वैज्ञानिक ने कहा कि डॉल्फ़िन की आबादी और प्रवृत्तियों की निगरानी उनके प्रभावी संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है. उनकी संख्या में वृद्धि ने रेंज राज्यों में जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को दर्शाया है.

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