Rajasthan News: झालावाड़ के झालरापाटन शहर में एक ऐसी जगह है जहां रावण का पूरा कुनबा आज भी मौजूद है. रावण का यह कुनबा आज से 183 साल पहले सन 1840 में यहां स्थापित किया गया, जो आज भी यहां मौजूद है. यहां रावण दरबार लगता है. यहीं पर 183 वर्षों से विजयदशमी वाले दिन रावण का वध परंपरागत रूप से किया जाता रहा है, तथा खास बात यह भी है कि यहां रावण के अतिरिक्त कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले भी जलाए जाते हैं. रावण के इस कुनबे को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. तथा जो लोग यहां से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफर करते हैं और जैसे ही उनकी नजर सड़क के किनारे ही खड़े इस रावण के कुनबे पर पड़ती है तो वह भी जिज्ञासु हो जाते हैं और कई तो वापस अपनी गाड़ियां घूमाकर इसको देखने पहुंच जाते हैं.
जादू टोने से मिल जाता है छुटकारा
इस रावण दरबार की स्थापना झालावाड़ के तत्कालीन नरेश महाराजा मदन सिंह ने वर्ष 1840 में की थी. उस समय यह पूरा दरबार और उसके पुतले मिट्टी से बनाए गए थे, जिनको लगातार सार संभल करते हुए रखा गया. उसके बाद वर्ष 1920 में झालावाड़ के नरेश महाराजा भवानी सिंह ने यहां जीर्णोद्धार का कार्य करवाया एवं इन पुतलों को पक्का बनवा दिया गया. तभी से यहां प्रतिवर्ष रंगरोपण गांव रखरखाव कार्य संपन्न होता है, जिसके चलते यह पूरी संरचना सकुशल आज भी मौजूद है. बीमारियों एवं कथित तौर पर जादू टोने से ग्रस्त लोग यहां पूजा अर्चना करने आते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो लोग किसी भी प्रकार की बीमारी और जादू टोने से ग्रसित है, वह यहां पूजा करें तो उनका लाभ होता है. तथा बीमारी से मुक्ति मिल जाती है. इसी के चलते यहां अक्सर लोग पहुंचते हैं जिन्हें यहां पर पूजा करते देखा जा सकता है.
प्रसाद के तौर पर ले जाते हैं मंदोदरी के वस्त्र
यहां प्रतिवर्ष दशहरे के अवसर पर मंदोदरी की प्रतिमा पर वस्त्र पहनाए जाते हैं. यह कार्य झालरापाटन नगर पालिका द्वारा परंपरागत रूप से वर्षों से किया जाता रहा है. मंदोदरी के वस्त्रों को फाड़कर उसके टुकड़े लोग प्रसाद के रूप में ले जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि उसके वस्त्र के टुकड़े घर में रखने से समृद्धि आती है और सुख शांति बनी रहती है. यहां रावण दरबार में है रावण का पूरा कुनबा और उसके चार पहरेदारों की प्रतिमाएं हैं. सभी पर प्रति वर्ष दशहरे के अवसर पर झालरापाटन नगर पालिका द्वारा रंग रोगन का कार्य करवाया जाता है. इन सभी प्रतिमाओं को सजाया संवारा जाता है, जिसका पूरा खर्च झालरापाटन नगर पालिका वहन करती है.