मदन दिलावर के खिलाफ उतरा शिक्षक, बताया- सबसे बड़ा पलटू राम, की विभाग बदलने की मांग

राजस्थान शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक शंभू सिंह मेड़तिया ने कहा कि यह पोस्टर वार यहीं समाप्त होने वाला नहीं है. आने वाले दिनों में भी प्रदेश की राजधानी में भी प्रदर्शन करेंगे और उसके बाद दिल्ली तक जाकर प्रदर्शन करेंगे.

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Madan Dilawar: राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के खिलाफ जोधपुर में पोस्टर लगाए गए हैं. जो इस समय काफी चर्चा का विषय बने हुए हैं. यह पोस्टर किसी और ने नहीं, बल्कि उनके ही विभाग के कर्मचारी नेता शंभू सिंह मेड़तिया ने लगाया है. पोस्टर में मदन दिलावर को इतिहास का सबसे बड़ा पलटूराम बताया गया है. राजस्थान पंचायती राज और माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक ने कहा कि सरकार बनने के बाद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सात बार आदेश निकाले थे, लेकिन सातों ही आदेश बाद में पलट दिए गए. 

शिक्षा मंत्री के खिलाफ शंभू ने खिला मोर्चा

दरअसल शिक्षक संघ के नेता शंभू सिंह मेड़तिया का पिछले दिनों राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में नाम आने के बाद उनका नाम निरस्त कर दिया गया था. इसके बाद में शंभू सिंह मेड़तिया और शिक्षा मंत्री के बीच में खींचतान देखी जा रही है. शिक्षक सम्मान में नाम आने के बाद में शंभू सिंह मेड़तिया को शिक्षा विभाग द्वारा नोटिस दिया गया और 15 दिन में जवाब नहीं देने पर उन्हें निलंबित किया जा सकता है, लेकिन शंभू सिंह मेड़तिया ने अपना जवाब पेश कर दिया है.

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इसके बाद अब शंभू सिंह मेड़तिया ने इस तरह के पोस्टर लगाए हैं. मेड़तिया ने शिक्षा मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और लगातार उनके खिलाफ प्रदर्शन करते आ रहे हैं. अब शिक्षा मंत्री के खिलाफ शंभू सिंह ने शहर में पोस्टर लगा दिया, जिसमें उन्हें इतिहास का सबसे बड़ा पलटूराम बताते हुए उनके विभाग को बदलने की मांग की है. हालांकि शिक्षा मंत्री की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. शंभू सिंह मेड़तिया ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि यह पोस्टर वार यहीं समाप्त होने वाला नहीं है.

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दिल्ली में प्रदर्शन करने की चेतावनी

आने वाले दिनों में भी प्रदेश की राजधानी में भी प्रदर्शन करेंगे और उसके बाद दिल्ली तक जाकर प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने कहा कि शिक्षक सम्मान समारोह में उनका नाम विभाग के अनुसार ही चयन किया गया था. दो विद्यार्थियों से लेकर उन्होंने 120 विद्यार्थी तक स्कूल में बढ़ाए थे. भामाशाहों से भी मदद लेकर स्कूल का काम किया था. इसके बाद उनका चयन हुआ था. शंभू सिंह मेड़तिया ने बताया कि उनकी 28 साल की नौकरी में कभी भी विभाग की द्वारा कोई भी नोटिस नहीं मिला है. यह पहला मौका है, जब उन्हें 16 सीसी की चार्जसीट दी गई है और वह भी इसलिए कि उन्होंने शिक्षा मंत्री का विरोध किया था और चेतावनी दी थी कि भविष्य में मुख्यमंत्री का भी वह विरोध करेंगे.

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