Rajasthan Election Commissioner: राजस्थान के राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त के रूप में राजेश्वर सिंह की नियुक्ति की गई थी. वहीं राजेश्वर सिंह ने शुक्रवार (19 सितंबर) को पदभार संभाल लिया है. हालांकि कुर्सी संभालने से पहले मजेदार बात दिखी कि राजेश्वर सिंह ने शुभ मुहूर्त देखकर ज्वाइनिंग की और फाइल पर हस्ताक्षर किये. वह 40 मिनट पहले ही दफ्तर पहुंचे थे. लेकिन उन्होंने आधिकारिक तौर पर कुर्सी शुभ मुहूर्त देखकर संभाला. 40 मिनट के इंतजार के बाद दोपहर 01.15 बजे कुर्सी पर बैठे और अपनी डायरी पर पहले स्वास्तिक बनाने के बाद ज्वाइनिंग रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किये.
कोशिश करूंगा स्थानीय निकाय चुनाव पारदर्शी हो
बता दें, प्रदेश में होने वाली पंचायतीराज और शहरी निकाय की ज़िम्मेदारी अब राजेश्वर सिंह पर होगी. रिटायर्ड आईएएस को हाल ही राज्य सरकार ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त की ज़िम्मेदारी दी है. शुक्रवार (19 सितंबर) को कामकाज संभालने के बाद राजेश्वर सिंह ने कहा कि वे इस बात की कोशिश करेंगे कि स्थानीय निकाय के चुनाव निष्पक्ष, तटस्थ, त्रुटिहीन और पारदर्शी तरीके से संपन्न हों.
उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि जिला निर्वाचन अधिकारी और उनके अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी भी आयोग की इस अपेक्षा के मुताबिक ही फील्ड में अपने कर्तव्य का निर्वहन करेंगे.
चुनाव समय पर होने से काम में आती है रफ्तार
राजेश्वर सिंह ने कहा कि अगर किसी संस्था में चुनाव होते हैं तो वह समय पर होने से कामकाज की रफ्तार तेज़ होती है. दरअसल राजेश्वर सिंह ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग में भी अतिरिक्त मुख्य सचिव रह चुके हैं और उनके अनुभव के आधार पर कामकाज पर पड़ने वाले असर को लेकर उनसे सवाल हुआ तो सिंह ने कहा कि समय पर चुनाव कराना काम को रफ्तरा देते है. उन्होंने कहा कि 'किसी भी संस्था के लिए, फिर वह चाहे सांसद हो, विधानसभा हो, पंचायतें हो या कोई अन्य संस्था, अगर चुनाव समय पर होता है, तो निश्चित रूप से उसके कामकाज की गति तेज़ होती है'.
राजेश्वर सिंह ने कहा कि, 'अब कमीशन में मैंने ज्वॉइन कर लिया तो यहां के काम को भी दिशा मिलेगी'. अगर कमीशन का पद भी चार महीने तक खाली रहता तो उतने दिन गतिविधियां नहीं चलतीं'. समय पर चुनाव कराने के मामले में जितने भी संबंधित पक्ष हैं, जिसमें कोर्ट भी हैं राज्य सरकार और आयोग भी हैं, तो सभी को देखना है कि किस तरह सही दिशा में आगे बढ़ें?
वन स्टेट वन इलेक्शन
वन स्टेट-वन इलेक्शन की स्थिति के सवाल पर नये मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजेश्वर सिंह ने कहा कि यह राज्य सरकार का फ़ैसला है. इस बारे में राय ज़ाहिर करने के लिए राज्य सरकार ही सक्षम है. सिंह ने कहा कि उनका काम चुनाव करना है. वे संवैधानिक और वैधानिक प्रावधान के साथ ही अलग-अलग अदालती फ़ैसलों के मुताबिक चुनाव कराएंगे.
क्या संवैधानिक संशोधन के बिना वन स्टेट वन इलेक्शन हो सकेगा?
इस सवाल पर राज्य निर्वाचन आयुक्त राजेश्वर सिंह ने कहा कि यह मामला कोर्ट के विचाराधीन है. इस पर अंतरिम आदेश भी इस पर आया हुआ है. वह सभी आदेश और अंतरिम आदेश का अध्ययन करके इसके तहत जो भी वैधानिक फैसला होगा उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे.
वन स्टेट वन इलेक्शन की स्थिति में मशीनरी लगाने के सवाल पर सिंह ने कहा कि मशीनरी तो चुनाव के आकार और पैटर्न के हिसाब से ही लगानी होगी. उन्होंने कहा कि पंचायती राज और नगरीय निकायों के चुनाव होंगे तो उसमें प्रशासनिक व्यवस्था के साथ पुलिस व्यवस्था कायम करनी होगी. इसके साथ ही कानून व्यवस्था को कंट्रोल करना होगा तो साथ ही आचार संहिता का पालन भी कराना होगा.
बिना संवैधानिक संशोधन के एक राज्य एक चुनाव के सवाल पर राजेश्वर सिंह ने कहा कि, यह एक जटिल प्रश्न है और कोर्ट के विचाराधीन है.उन्होंने कहा कि कोर्ट ने इस पर अंतरिम आदेश भी दिया है. उन्होंने फिलहाल इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ कहने से बचते हुए कहा कि जब कोर्ट का फ़ैसला आएगा तो कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही काम किया जाएगा.
वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप और वोट चोरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट बनाने का काम भारत निर्वाचन आयोग का है और इस बारे में आयोग ही कुछ बता सकता है. राजेश्वर सिंह ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग तो भारत निर्वाचन आयोग से वोटर लिस्ट लेता है, फिर उसे वार्ड के आधार पर बांटकर स्थानीय निकायों के चुनाव कराता है.
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