'परिसीमन के नाम पर निकाय चुनाव नहीं खिसका सकते' डोटासरा बोले- चुनाव करवाने की सरकार की मंशा नहीं 

डोटासरा ने कहा कि सरकार ने बजट में कहलवा दिया कि वन स्टेट वन इलेक्शन, जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि और आज की तारीख में ऐसा कोई कानूनी प्रावधान मौजूद नहीं है. इसके साथ ही ना सरकार इसे लेकर आई, इस तरह की कोई भी पॉलिसी नहीं बनी हुई है.

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गोविंद सिंह डोटासरा

Rajatshan: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मीडिया से रूबरू होते हुए प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनाव को लेकर जल्द ही चुनाव कराने की सरकार की मंशा को लेकर कहा कि कहा कि सरकार की अभी कोई मंशा नहीं है, अगर सरकार की ही चुनाव कराने की मंशा होती तो सरकार पहले ही पूरी प्रकिया करके जैसे ही 5 साल होते तो चुनाव पंचायत और नगर निकाय के चुनाव करवाती.

डोटासरा ने कहा कि सरकार ने बजट में कहलवा दिया कि वन स्टेट वन इलेक्शन, जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि और आज की तारीख में ऐसा कोई कानूनी प्रावधान मौजूद नहीं है. इसके साथ ही ना सरकार इसे लेकर आई, इस तरह की कोई भी पॉलिसी नहीं बनी हुई है. राज्य सरकार को पंचायत और नगर निकाय के चुनाव करवाने ही नहीं थे, इन्हें तो प्रशासक लगाकर समय व्यतीत करना है.

''HC ने पूछ चुका 5 साल के अंदर-अंदर चुनाव क्यों नहीं हुए''

''लेकिन अब हाई कोर्ट ने यह कह दिया कि इसकी जांच होनी चाहिए की 5 साल के अंदर अंदर चुनाव क्यों नहीं हुए और मुख्य निर्वाचन आयुक्त भारत सरकार को भी इस बारे में लिखा जाए. यह कानूनी प्रावधान है कि 5 साल में ही नगर पालिका और पंचायत राज के चुनाव होंगे.''

''सरकार की मंशा ठीक नहीं''

अब सरकार चूंकि राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त ने वोटर लिस्ट के लिए लिखा है, लेकिन सरकार की मंशा ठीक नहीं है, इसलिए सरकार पुनः लिखकर भेजेगी कि हम अभी चुनाव नहीं करवा पा रहे हैं, क्योंकि हमारा अभी परिसीमन का कार्य पूरा नहीं हुआ है. डोटासरा ने कहा कि सरकार परिसीमन के आधार के ऊपर चुनाव को आगे नहीं खिसका सकते, यह माननीय उच्चतम न्यायालय की सीधी-सीधी पंजाब सरकार के मामले के अंदर निर्णय आया हुआ है.

''सरकार ने पिछले 2 साल में कुछ नहीं किया''

पीसीसी चीफ डोटासरा ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने पिछले 2 साल में कुछ नहीं किया है इसीलिए यह चुनाव से डर रहे हैं और चुनाव में जाना नहीं चाहते. लेकिन उच्च न्यायालय इनको बाध्य करेगा और विपक्ष भी सड़क और सदन तक इसको मुद्दा बनाएंगे. इसके साथ ही आने वाली विधानसभा में इसको मुद्दा बनाएंगे कि जनता के हकों के ऊपर सरकार कुठाराघात कर रही है, लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और ग्रामीण व शहर के शासन प्रशासन में बिल्कुल शून्यता आ गई है.

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