Rajasthan News: देश में अब विकसित राष्ट्र बनने की बात कही जानी शुरू हो गई है. विकसित राष्ट्र का एक उदाहरण है कि जिस देश में मूलभूत सुविधाओं की बिलकुल कमी नहीं हो. लेकिन भारत के राजस्थान में एक ऐसा गांव है, जहां आजादी के 78 साल से बिजली का कनेक्शन तक नहीं पहुंचा. यानी पूरा गांव आज तक अंधेरे में जिंदगी जी रहा था. लेकिन अब आजादी के 78 साल बाद इस गांव में बिजली कनेक्शन पहुंचा है. बता दें यह गांव एख आदिवासी गांव है.
40 गांव में बिजली का इंतजार खत्म
राजस्थान के बारां जिले के एक सुदूर पहाड़ी इलाके में पहली बार बिजली का कनेक्शन पहुंचा है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों के मुताबिक जिला मुख्यालय से 175 किलोमीटर दूर 40 घरों में रहने वाले सहरिया जनजाति के करीब 200 लोगों का बिजली के लिए लंबा इंतजार आखिरकार 30 जून को खत्म हो गया.
जिलाधिकारी रोहिताश्व सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार को बताया कि अब बारां जिले के 100 प्रतिशत क्षेत्र में बिजली का कनेक्शन उपलब्ध हो गया है. उन्होंने कहा कि पिछले महीने रात्रि चौपाल के दौरान लोगों से शिकायत मिलने के 20-25 दिनों के भीतर यह काम पूरा कर लिया गया. जिलाधिकारी ने कहा, ‘‘यह जन समस्याओं के त्वरित समाधान का उल्लेखनीय उदाहरण है.''
पूर्व सरपंच बद्री सहरिया के पोते अरुण सहरिया ने कहा, ‘‘ पूरे गांव के लोग अब खुश और उत्साहित हैं क्योंकि उनकी रातें रोशन हो गई हैं. दशकों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार गांव में बिजली पहुंच गई है.''
अंधेरे में थे 40 परिवार
बद्री सहरिया और अन्य स्थानीय लोगों ने रात्रि चौपाल के दौरान यह मुद्दा उठाया था. सहरिया विशेष रूप से कमजोर एक जनजातीय समूह (पीवीजीटी) हैं. बद्री सहरिया ने 23 मई को रात्रि चौपाल के दौरान जिलाधिकारी को बताया कि सहरिया समुदाय के 40 परिवारों के पास बिजली नहीं है और वे अंधेरे में रह रहे हैं.
जिलाधिकारी ने अगले दिन स्थल का निरीक्षण किया और अधीक्षण अभियंता एन एम बिलोटिया को सर्वेक्षण करने तथा 15 दिनों के भीतर विद्युतीकरण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए.
पीएम-जनमन, या प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान के तहत सहरिया परिवारों को भी स्थायी घरों के लिए सरकार की मंजूरी मिल गई है. पीएम-जनमन विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए एक पहल है.
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