Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर (Jaipur) में स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में आज दोपहर 2 बजे भजनलाल सरकार की कैबिनेट (Bhajanlal Cabinet Meeting) बैठक होने जा रही है. इस बैठक को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई अटकलें और अफवाहें तेज हैं. सोशल मीडिया पर भी लोग जानना चाह रहे हैं कि क्या भजनलाल मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल होने वाला है? NDTV ने इन तमाम अटकलों की पड़ताल की और जो सामने आया, वो इन चर्चाओं से बिल्कुल उलट है.
विधानसभा सत्र से पहले नहीं, पंचायती राज चुनाव के बाद होगा विस्तार!
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों और सत्ता के गलियारों में हो रही बातचीत के मुताबिक, फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार की कोई संभावना नहीं है. सरकार का पूरा ध्यान अब आगामी विधानसभा सत्र और उसके बाद होने वाले निकाय चुनावों पर है. क्योंकि विधानसभा सत्र से पहले नया मंत्री बनाना और उसे सदन के लिए तैयार करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है. फिर, प्रदेश में इस समय मानसून की वजह से कई जगह आपदा जैसी स्थिति है. ऐसे में क्या सरकार के लिए बाढ़ पीड़ितों की मदद से ज्यादा जरूरी मंत्रिमंडल विस्तार है? शायद नहीं.
6 नए चेहरों की गुंजाइश, फेरबदल हुआ तो बदल जाएगा गणित
भजनलाल सरकार में अभी मुख्यमंत्री और दो उप-मुख्यमंत्रियों समेत कुल 24 मंत्री हैं. नियमों के मुताबिक, राजस्थान में ज्यादा से ज्यादा 30 मंत्री हो सकते हैं. यानी, अगर सरकार सिर्फ विस्तार करती है, तो 6 नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं. लेकिन अगर सरकार फेरबदल का मन बनाती है, तो फिर स्थिति पूरी तरह से बदल सकती है. हालांकि, बीजेपी के नेताओं और संगठन दोनों ने इस पर चुप्पी साध रखी है.
'सोशल मीडिया की चर्चाओं में कोई दम नहीं है'
लेकिन सोशल मीडिया पर तो जैसे बाजार गर्म है. लोग धड़ाधड़ संभावित मंत्रियों के नाम चला रहे हैं, कुछ तो इसे अपनी फॉलोअर बढ़ाने की तरकीब मानते हैं, तो कुछ इस पर पूरा यकीन करते हैं. लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सोशल मीडिया की इन चर्चाओं में कोई दम नहीं है. इन लिस्टों में न तो सामाजिक संतुलन दिख रहा है और न ही क्षेत्रीय संतुलन. ऐसे में बिना सोचे-समझे कोई भी फैसला लेना संभव नहीं है.
CM और CS के दिल्ली दौरे से उठे सवाल, लेकिन वजह कुछ और
पिछले एक महीने में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तीन बार दिल्ली जा चुके हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की. इसके तुरंत बाद मुख्य सचिव सुधांश पंत भी दिल्ली गए. इसी से अटकलें तेज हो गईं कि मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला हो चुका है. लेकिन, ये अटकलें भी सही नहीं निकलीं. दरअसल, मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे का मुख्य मकसद राज्य के विकास कार्यों पर चर्चा करना था, जबकि मुख्य सचिव सुधांश पंत आरपीएस से आईपीएस के प्रमोशन से जुड़ी एक जरूरी बैठक के लिए दिल्ली गए थे. इस बैठक में राज्य के पुलिस महानिदेशक भी मौजूद थे. यानी, उनके दिल्ली जाने का राजनीतिक नियुक्तियों या मंत्रिमंडल विस्तार से कोई सीधा लेना-देना नहीं था.
मंत्रिमंडल विस्तार से पहले होंगी राजनीतिक नियुक्तियां?
बीजेपी में फिलहाल यह चर्चा ज्यादा है कि मंत्रिमंडल विस्तार से पहले राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी. पार्टी का मानना है कि इन नियुक्तियों से आगामी स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में फायदा मिल सकता है. मुख्यमंत्री जल्द ही जयपुर में पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों से भी मिलेंगे. माना जा रहा है कि इन बैठकों के बाद ही राजनीतिक नियुक्तियों की तस्वीर साफ हो पाएगी.
14 जनवरी तक टल सकता है मंत्री परिषद विस्तार?
बीजेपी की रणनीति में नजदीकी रूप से शुमार रहने वाले नेताओं का मानना है कि राजनीतिक समीकरणों में पार्टी वक्त‑वक्त पर परिस्थिति देखकर रणनीति बनाती है. अभी की बातचीत में यही बात साफ हुई कि विधानसभा सत्र से पहले किसी प्रकार का मंत्रिपरिषद विस्तार जरूरी नहीं है. कई नेताओं का मानना है कि इस मामले को निकाय चुनाव तक टाला जा सकता है, और विस्तार की योजना 14 जनवरी तक के लिए टल भी सकती है.
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