Why Mangarh Dham Important for bheel samaj: राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से भील प्रदेश की मांग उठ रही है. यह मांग बाप पार्टी के प्रमुख और सांसद राजकुमार रोत द्वारा जोर-शोर से उठाई जा रही है. हाल ही में उन्होंने इसे लेकर एक नक्शा भी जारी किया है. इससे राजनीति के गलियारों में काफी हलचल मची हुई है. लेकिन इन सबके बीच, इस नए राज्य की मांग सिर्फ एक जगह से जोर-शोर से उठी है और वो है मानगढ़ धाम. जिसे भील समुदाय के जरिए बेहद पूजनीय माना जाता है. यह उनके लिए एक ऐसा पवित्र स्थान है जो आस्था और शौर्य का प्रतीक है, जो राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित है.
भील समुदाय के लिए है बेहद खास है मानगढ़ धाम
मानगढ़ धाम भील समुदाय का एक शहादत स्थल है जहां 1500 आदिवासी एक साथ शहीद हुए थे, जिसे इतिहास में मानगढ़ नरसंहार (Mangarh Genocide) के नाम से जाना जाता है. जिसके बाद यह स्थान आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम का के साथ साथ भील समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया. यही वजह है कि जब भी भील प्रदेश की मांग उठी है, तो यहीं से बार-बार उठी है.
हजारों भीलों के नरसंहार का गवाह बना था मानगढ़ धाम
इसे दूसरा जलियांवाला बाग कांड भी कहा जाता है
इस घटना को मानगढ़ नरसंहार के नाम से जाना जाता है और इसे भारत का दूसरा जलियांवाला बाग कांड भी कहा जाता है. गोविंद गुरु ने आदिवासियों को सामाजिक सुधार, शिक्षा और आत्मनिर्भरता का संदेश दिया था. उन्होंने 'भगत आंदोलन' के माध्यम से आदिवासियों को संगठित किया और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी.
भील प्रदेश की मांग क्या है?
राजस्थान, मप्र, गुजरात और महाराष्ट्र के 4 राज्यों के 42 जिलों को मिलाकर अलग भील प्रदेश की मांग के पीछे 108 वर्ष पुराने आंदोलन का तर्क दिया जाता है. इन क्षेत्रों में भील समुदाय की जनसंख्या काफी अधिक है . इसलिए इनका मानना है कि वे लंबे समय से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उपेक्षा का शिकार होते आ रहे हैं. इसी कारण वह अलग प्रदेश चाहते है , जिससे उनका विकास बेहतर तरीके से हो सके.
मानगढ़ धाम से ही क्यों उठती है यह मांग?
मानगढ़ धाम से भील प्रदेश की मांग उठने के कई महत्वपूर्ण कारण हैं. यह भील समुदाय के बलिदान और संघर्ष का प्रतीक है. यहां हुए नरसंहार ने आदिवासियों को अपने अधिकारों के लिए हमेशा से एकजुट होने की प्रेरणा देता रहा है. यह स्थान उन्हें अपनी साझा विरासत और पहचान की याद दिलाता है, जिसके कारण यह इसका तर्क देकर एक अलग राज्य की मांग को मजबूती देते है. इसके अलावा यह धाम भील समुदाय की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र भी है.
सामाजिक उपेक्षा बन रही है बड़ी वजह
मानगढ़ नरसंहार ने भील समुदाय में गहरी राजनीतिक चेतना पैदा की. गोविंद गुरु के आंदोलन ने उन्हें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना सिखाया. ये धाम उन्हें एक मंच प्रदान करता है जहां वे अपनी मांगो को उठाते रहे हैं. इसके अलावा भील समुदाय का मानना है कि वर्तमान राज्यों में उनकी उपेक्षा की जाती है. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास के अवसरों में उन्हें पर्याप्त हिस्सेदारी नहीं मिलती. उन्हें लगता है कि एक अलग भील प्रदेश बनने से उनकी जरूरतो और आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकेगा.
भील प्रदेश की मांग क्या है?
राजस्थान, मप्र, गुजरात और महाराष्ट्र के 4 राज्यों के 42 जिलों को मिलाकर अलग भील प्रदेश की मांग के पीछे 108 वर्ष पुराने आंदोलन का तर्क दिया जाता है.इन क्षेत्रों में भील समुदाय की जनसंख्या काफी अधिक है . इसलिए इनका मानना है कि वे लंबे समय से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उपेक्षा का शिकार होते आ रहे हैं. इसी कारण वह अलग प्रदेश चाहते है , जिससे उनका विकास बेहतर तरीके से हो सके.
4 राज्यों के इन जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग की जा रही है-
- गुजरात- बनासकांठा-सावरकांठा-अरावली-महिदसागर-वडोदरा-भरूच-सूरत और पंचमहल का हिस्सा, दाहोद, छोटा उदयपुर, नर्मदा, तापी, नवसारी, वलसाड़, दमन दीव, दादर नागर हवेली
- राजस्थान- डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, राजसमंद और चित्तौड़गढ़, जालोर-बाड़मेर-पाली का हिस्सा
- महाराष्ट्र- जलगांव-नासिक और ठाणे का हिस्सा, नंदूरबाग, धुलिया और पालघर
- मध्यप्रदेश- नीमच-मंदसौर-रतलाम और खड़वा का हिस्सा, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, धार, खरगोन और बुरहानपुर