Rajasthan: राजस्थान के नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने नीमराना के गांव माजरा का काठ पहुंचकर मृतक एएसआई सुरेन्द्र सिंह ओला को श्रद्धांजलि दी. एएसआई के परिवार से मुलाकात करके ढांढस बंधाया. हनुमान बेनीवाल ने कहा कि ओला का निधन बहुत दुःखद है, ड्यूटी निभाते हुए दिवंगत हुए. सुरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री की जान बचाने के लिए शहादत दी है. मुख्यमंत्री जी या तो समझदार नहीं है या बात उनकी समझ के परे है कि उनकी जान बचाने वाले के परिवार को अगर दरदर की ठोकर खानी पड़े. तो ये कैसे मुख्यमंत्री है?
बीजेपी किसान को वोट के समय याद करता है
हनुमान बेनीवाल ने कहा, "राजस्थान के लोग मजाक बनाते हैं. ये खुद कोई फैसला ले ही नहीं सकते. कांग्रेस सरकार ने उदयपुर में कन्हैया वाले मामले दो नौकरियां दे दी. मैंने खुद कई नौकरियां दिलाई है. शहादत देने वालों में ये संदेश जाता है कि हम क्यों शहादत दें. मुख्यमंत्री से अपील है कि इस मामले में किसी तरीके की राजनीति ना करें. हमारे समाज की जगह और समाज का व्यक्ति होता तो अभी तक शहीद का दर्जा भी मिल जाता. बीजेपी किसान और जवान को वोट के समय याद करती हैं. इनकी कथनी और करनी में अंतर है. मैं परिवार के साथ हूं. अगर मांगे पूरी नहीं हुई तो हम आंदोलन करेंगे. हर बात दिल्ली से नहीं पूछनी होती. मुख्यमंत्री को ज्ञान नहीं है, उनको अधिकारियों पर निर्भर रहना पड़ता है. लेकिन, अधिकारी भी फ़ोन नहीं उठा रहे हैं."
आंदोलन की चेतावनी दी थी
एएसआई सुरेंद्र सिंह ओला के परिवार और स्थानीय ग्रामीणों ने कुछ दिनों पहले नीमराना थाने के बाहर प्रदर्शन किया था. परिजन ने सरकार की निष्क्रियता के प्रति अपना रोष व्यक्त करते हुए 10 जनवरी से धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी थी. परिजन ने आक्रोशित होकर कहा था कि उनके पिता मुख्यमंत्री भजनलाल के काफिले में ड्यूटी करते हुए शहीद हुए थे, लेकिन 23 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार ने परिवार को किसी भी प्रकार की सहायता नहीं दी. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 20 दिसंबर को उनके गांव माजरा काठ में जाकर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
परिवार ने रखी थी सरकार से मांगे
मुख्यमंत्री को दिए गए मांग पत्र में सुरेंद्र सिंह ओला को शहीद का दर्जा देने, नायब तहसीलदार के पद पर नौकरी, उनकी बहन को सरकारी नौकरी, और दिवंगत एएसआई की पत्नी सविता चौधरी को बचे हुए कार्यकाल की सैलरी एवं रिटायरमेंट के बाद पेंशन देने की मांग की गई थी. एएसआई की बहन ने बताया कि मुख्यमंत्री ने सभी मांगों पर सरकार द्वारा कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी कोई प्रगति नहीं हुई.
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