न्यूजीलैंड की इस घास की खेती से राजस्थान के किसान हो रहे मालामाल, कम लागत में कर रहे लाखों की कमाई

Beet Grass Farming: राजस्थान के जोधपुर, पाली, बाड़मेर और नागौर के किसान चुकंदर घास की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं. चुकंदर की घास में प्रोटीन और विटामिन भी भरपूर होता है. आइए आपकों बताते हैं कैसे इसकी खेती होती है.

Advertisement
Read Time: 3 mins

Beet Grass Farming: न्यूजीलैंड के बर्फीले क्षेत्रों में होने वाली चुकंदर घास की खेती अब राजस्थान में भी होने लगी है. यह संभव हो पाया है केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) की मदद से. काजरी ने रेगिस्तानी इलाकों में खारे लवणयुक्त पानी में चुकंदर घास को पैदा करने की तकनीक विकसित की थी. अब काजरी इसे किसानों को भी उपलब्ध करवा रहा है. 

राजस्थान में 15 सौ से अधिक किसान चुकंदर खास की खेती करने लगे हैं

वर्तमान में जोधपुर, पाली, बाड़मेर और नागौर में 1500 से भी अधिक किसान चुकंदर घास की खेती करने लगे हैं. चुकंदर घास में प्रोटीन और विटामिन भरपूर है. गायों की दूध देने की क्षमता बढ़ाती है. पशुपालक इस घास को बकरियां और बकरों को खिलाकर उनका वजन बढ़ाते हैं.  

Advertisement

चुकंदर घास की बुवाई नवंबर-दिसंबर में होती है

चुकंदर घास की बुवाई नवंबर-दिसंबर में होती है.अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह में घास पूरी तरह से तैयार हो जाती है. पशुओं के चारे के लिए वैज्ञानिक इसे सबसे अच्छा मानते हैं. एक हेक्टेयर में 250 टन चुकंदर घास की पैदावार होती है. 

Advertisement

न्यूजीलैंड में मवेशियों के लिए मुख्य चारा है चुकंदर घास 

इस फसल को मवेशियों के लिए सस्ता और पोषक तत्वों से भरपूर बताया गया है. न्यूजीलैंड जैसे ठंडे देशों में मवेशियों के लिए मुख्य चारे के रूप में इसका प्रयोग करते है. इस फसल को काजरी के वैज्ञानिकों ने राजस्थान के शुष्क और गर्म वातावरण में सफलतापूर्वक तैयार कर दिखाया था. साल  2010 में चुकंदर घास पर शोध करने के बाद काजरी ने इसे रेगिस्तानी जिलों के करीब 11 पशुपालकों को दिया. पाया कि इसकी मांग भी बढ़ रही है.

Advertisement

चुकंदर घास चारा पौष्टिक से भरपूर है

काजरी के प्रधान वैज्ञानिक और इस तकनीक को ईजाद करने वाले ड़ॉ. एसपीएस तंवर ने बताया,  "चुकंदर चारा आम तौर पर ठंडे क्षेत्रों की भूमि पर उगता है.  लेकिन, हमने इसे रेगिस्तान के धोरों के साथ ही गर्म क्षेत्र और खारे पानी में भी पैदा करने की तकनीक को विकसित कर दिया है. इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. किसान इस तकनीक को अडॉप्ट करके ठीक कर रहे हैं. चुकंदर घास चारा पौष्टिक से भरपूर भी है."

किसानो की आय बढ़ाने का बड़ा जरिया बन रही यह तकनीक

काजरी की तकनीक आय बढ़ाने के लिए कई रूप में कारगर साबित हो रही है. 1 हेक्टेयर खेत पर 700 क्विंटल चुकंदर की घास उगती है. इसकी लागत प्रति किलो 1 रुपया आती है, जो करीब 700 क्विंटल यानी 70 हजार किलो पर 70 हजार रुपए खर्च आता है. मार्केट में बिकने वाली साधारण घास पर प्रति किलो 5-6 रुपया लागत आती है. 70 हजार किलो सामान्य घास के 5 रुपए की दर से 3 लाख से अधिक लागत आती है.  चुकंदर चारा जिसकी 70 हजार रुपए ही लागत आती है वह 2 लाख से अधिक अधिक आमदनी करवा सकता है. 

यह भी पढ़ें: क्या बाड़मेर में रविंद्र भाटी के साथ मिलकर कर रहे थे अशोक गहलोत खेल? सबूत मिलने पर कांग्रेस के अंदर मचा सियासी उबाल

Topics mentioned in this article