Farmers Protest: नहरबंदी से पहले सिंचाई के लिए पानी की मांग, 620 हैड पर शुरू हुआ किसानों का धरना

21 मार्च से नहरबंदी हो जाएगी. उससे पहले कम से कम दो बारी में तो पानी मिलना ही चाहिए. उसके बाद भी एक बारी तय होनी चाहिए ताकि किसानों को उनकी मेहनत का फल मिल सके.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

Rajasthan News: इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की मुख्य नहर के 620 हैड पर सिंचाई के लिए पानी की मांग को लेकर किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. ये किसान खेतों में पहले से पक रही फसलों के लिए पूरा पानी देने की मांग कर रहे हैं. गौरतलब है कि 21 मार्च से नहरबंदी शुरू हो जाएगी. किसानों का कहना है कि अभी उन्हें पानी की जरूरत है जिसे पूरा किया जाना चाहिए.

सरकार से वार्ता फेल

16 मार्च के बाद भी एक बारी पानी की जरूरत तो किसानों को रहेगी ही. अगर इस वक्त तैयार फसलों को पानी नहीं मिला तो उनकी सारी मेहनत बर्बाद हो जाएगी. इलाके के किसान 28 फरवरी से नहरों में पानी छोड़ने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना लगाकर बैठ गए हैं. सूचना मिलने पर सिंचाई विभाग के अधिकारी भी वहां पहुंचे और किसानों से बात की. जब किसानों ने अपनी मांग से उन्हें अवगत करवाया तो विभाग के अधिकारियों ने अपने स्तर पर उनकी मांगों को पूरा करने में असमर्थता जताई. ऐसे में बातचीत का कोई हल नहीं निकला. छतरगढ़ तहसील मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के 620 हैड पर सैंकड़ों की तादाद में किसान धरने पर बैठे हुए हैं.

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नहीं मान रहे किसान

इस धरने की सूचना मिलने पर जहां छतरगढ़ थाना पुलिस मौके पर पहुंची, वहीं सिंचाई विभाग के अधिकारी भी पहुंचे और किसानों की समझाइश की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. यहां तक कि एडीएम ने भी धरने पर जाकर किसानों से वार्ता की. मगर किसानों का कहना था कि उन्हें अपनी पकी हुई फसल को बचाने के लिए पानी की जरूरत है. उसका आश्वासन मिले बग़ैर वे धरना जारी रखेंगे. किसान नेता भूपराम का कहना है कि किसानों की चना, जीरा, सरसों, ईसबगोल और गेहूं जैसी फसलों को अभी पानी की जरूरत है. किसी किसान को दो तो किसी को तीन बारीयों में पानी चाहिए. 21 मार्च से नहरबंदी हो जाएगी. उससे पहले कम से कम दो बारी में तो पानी मिलना ही चाहिए. उसके बाद भी एक बारी तय होनी चाहिए ताकि किसानों को उनकी मेहनत का फल मिल सके.

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